आजकल की भागदौड भरी जीवन शैली देर से शादी करना, शादी के बाद तुरंत बच्चे ना पैदा करना इत्यादी कई ऐसे कारण हैं जिससे बच्चे पैदा करने में समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है। आजकल बहुत से कारणों से महिलाओं में बांझपन की समस्या सबसे अधिक दिखाई दे रही है बांझपन के मुख्य लक्षण है बिना किसी प्रिकॉशन के भी गर्भधारण नहीं कर पाना। तो आइए जानते हैं प्रेग्नेंट न होने की प्रॉब्लम के लक्षणो के बारे में
Pregnant na hone ki samasya ke lakshan :-
मैरिज के 1 साल से अधिक समय से यदि पति पत्नी सेक्स संबंधों में क्रियाशील है तथा किसी तरह के प्रिकॉशन को प्रयोग में नहीं ला रहे हैं तब भी यदि गर्भधारण नहीं हो पा रहा तो इसे बांझपन का एक लक्षण कहा जाता है। किसी महिला का मासिक चक्र यदि बहुत अधिक दिनों का है जैसे एक महीने से अधिक दिन का है या कम दिन का है तो इसे भी बांझपन का एक लक्षण माना जाता है।
महिलाओं में होने वाले अनियमित पीरियड्स (irregular periods) जिसमें कई बार महिलाओं को एक या 2 महीने या उससे ज्यादा समय अंतराल में पीरियड्स नहीं आते तो इसे भी बांझपन का एक मुख्य लक्षण और कारण माना जाता है क्योंकि जिन महिलाओं में ओवुलेशन नहीं होगा या अंडोत्सर्ग नहीं होगा उनमें मासिक चक्र समय पर नहीं दिखाई देगा।
महिलाओं में हेयर फॉल और फेस पर अनचाहे बालों का आना तथा चेहरे पर अनावश्यक मुहान्सों और एक्ने का होना भी बांझपन के लक्षण में गिना जाता है।
प्रेग्नेंट न होने की समस्या के कारण :-
1. ओव्युलेशन डिसऑर्डर ( Ovulation ) - महिलाओं में समय पर ओवरी से अंडों का उत्सर्ग जब नहीं हो पाता है या अंडे परिपक्व होने पर सिस्ट में बदल जाते हैं तब इसे ओवुलेशन ( Ovulation ) डिसऑर्डर कहा जाता है, इस समस्या से ग्रस्त महिला में अंडे बनते तो हैं पर डिस्चार्ज होने के बाद वे सिस्ट मे बदल जातें है और स्पर्म से मिलकर एम्ब्रियो बनाने मे अक्षम होते हैं।
2. अंत:स्त्रावि विकार - गर्भधारण करने के लिए समय पर अंडों का उत्सर्ग होना आवश्यक है अंडों के इन उत्सर्ग के लिए कुछ हार्मोन की नियमित मात्रा की आवश्यकता होती है अगर हार्मोन की मात्रा में अनियमितता पाई जाती है तब उससे अंडों का उत्सर्ग प्रभावित होता है यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है जिसके कारण गर्भधारण नहीं हो पाता।
3. फेलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज - बांझपन के अलग-अलग कारणों में एक मुख्य कारण फेलोपियन ट्यूब का ब्लॉक होना है दाएं और बाएं ओवरी से निकलकर फेलोपियन ट्यूब ( Fallopian tube ) गर्भाशय में जुड़ती है अगर दोनों में से किसी भी एक ट्यूब में ब्लॉकेज होता है तो ऐसे में गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।
4. एंडोमेट्रिओसिस - गर्भाशय की आंतरिक झिल्ली का आवश्यकता से अधिक मोटा होना और गर्भाशय से बाहर की ओर सरक जाना भी गर्भधारण न कर पाने का एक प्रमुख कारण है।
5. ओवरएज - वैसे गर्भधारण करने के लिए सबसे अच्छी उम्र 20 साल से 28 साल के अंदर की मानी जाती है परंतु आजकल कैरियर और बाकी अन्य कारणों से विवाह भी देर से होते हैं उसके बाद बच्चे पैदा करने के लिए भी औरतें समय लेती हैं तो इस प्रकार विवाह और बच्चों की आयु निकल जाने के कारण एक उम्र के बाद बच्चे पैदा करने में असुविधा होती ही है। 35 की उम्र के बाद अंडाशय में बनने वाले अंडाणुओं की संख्या में भी कमी आ जाती है और उनकी उत्कृष्टता भी कम होती है जिसके कारण गर्भधारण करने में असुविधा होती है।
6. जीवन शैली - वर्तमान जीवन शैली का सबसे अधिक प्रभाव गर्भधारण के ऊपर पड़ रहा है । देर से सोना देर से जागना बहुत अधिक कार्यों में व्यस्त रहना इत्यादि कुछ ऐसे कारण हैं जिनके कारण मानसिक रूप से तनाव की स्थिति निर्मित होती है जिसके कारण गर्भधारण की क्षमता में कमी आती है । डिप्रेशन के कारण अंडाणु के द्वारा निषेचन प्रभावित होता है।
7. हार्मोन असंतुलन- शरीर में पाए जाने वाले हार्मोन के असंतुलन के कारण शरीर कई रोगों द्वारा ग्रस्त हो जाता है जैसे थायराइड की समस्या, पीसीओडी की समस्या इन समस्याओं के कारण भी गर्भधारण समय पर नहीं हो पाता।
8. शुक्राणुओं की कमी - पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी होना यह शुक्राणुओं का पूर्ण रूप से सक्षम ना हो पाना भी गर्भधारण न कर पाने का एक प्रमुख कारण है। बहुत बार देखा जाता है कि महिलाओं में कोई कमी ना होते हुए भी महिला गर्भधारण करने में असक्षम होती है इसका कारण मुख्य रूप से अल्प शुक्राणुता और अशुक्राणु या शुक्राणुओं का मृत पाया जाना भी होता है।
9. पीसीओएस (Pcos) की प्रॉब्लम :- कई बार महिलाएं इस प्रॉब्लम की वजह से गर्भवती नहीं बन पाती हैं । पीसीओएस (
Pcos ) यानी पोलीकयस्टिक ओवरियन सिंड्रोम जो एक हार्मोन्स से जुड़ी प्रॉब्लम हैं । जिससे महिला में मेल हार्मोन बढ़ जाता हैं । इससे अनियमित मासिक धर्म व स्कीन प्रॉब्लम बढ़ जाती हैं । इस प्रॉब्लम को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेद की पंचकर्मा पद्धति से ट्रीटमेंट किया जाता हैं ।
10. अन्य कारण-- अव्यवस्थित जीवन शैली तथा वर्तमान जीवन शैली के कारण कई बार महिलाओं का वजन सामान्य से अधिक होता है और कई बार सामान्य से कम होता है दोनों ही परिस्थिति में गर्भधारण की क्षमता पर कमी आती है इसके अलावा शराब सिगरेट तथा अन्य ड्रग्स का सेवन भी अंडों के बनने पर अपना असर डालता है। युगल में सेक्स की समस्या जैसे भावात्मक कमी या सेक्स के बाद यौन अंग की सफाई करना इत्यादि ।
गर्भधारण ( Pregnant ) न कर पाने के कारण आयुर्वेद उपचार :-
गर्भधारण न कर पाने वाले कारणों का त्याग करना ही मुख्य रूप से गर्भधारण न कर पाने के कारणों से बचाव है। आयुर्वेद ने कुछ सामान्य उपचार बताये हैं जिन्हें फॉलो करके प्रेग्नेंसी प्राप्त कर सकते हैं तो आइए जानते आयुर्वेदिक उपचार ( Ayurvedic Upachar ) :-
● बांझपन की प्रॉब्लम से मुक्ति पाने के लिए महिलाओं को जहां डॉक्टर द्वारा दी गई औषधियों का सेवन करना चाहिए वही उसके साथ एक नियमित और हेल्थी दिनचर्या का भी पालन करना चाहिए ।
● सबसे पहले यह निश्चित करें कि एक संतुलित आहार का सेवन करना है । अधिक तला भुना भोजन, शराब, सिगरेट इत्यादि विकारों से दूर रहना अति आवश्यक है । इसके साथ ही अपनी दिनचर्या में व्यायाम को नियमित रूप से शामिल करना भी अति आवश्यक है।
● कभी कभी महिलाएं मोटापे से ग्रस्त होने के कारण गर्भधारण ( Pregnant ) न कर पाते इनके लिए नियमित रूप से वॉक रनिंग तथा सामान्य हल्की-फुल्की एक्सरसाइज वर्जिश करना बहुत जरूरी है ।
● अपनी दिनचर्या में इस प्रकार चेंजेस करें कि कार्य की अधिकता या किन्हीं भी अन्य कारणों से होने वाला डिप्रेशन कम किया जा सके । तनाव को कम करने के लिए योग भी एक कारगर उपाय है रोज ना हो सके तो हफ्ते में 2 से 3 दिन योग और प्राणायाम तथा ध्यान को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाकर बांझपन से छुटकारा पाया जा सकता है।
● डॉक्टर्स के अनुसार आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार ले जिसमें बिना किसी ऑपरेशन से विभिन्न प्रकार की औषधियों से इलाज किया जाता हैं । जिसमे पंचकर्मा मुख्य हैं । जिसके मुख्य चरण इस प्रकार हैं :-
1. वमन :- इस प्रक्रिया के माध्यम से उल्टी के लिए बार बार औषधि का सेवन करवाया जाता हैं । जिससे बॉडी में उपस्थित तमाम विषयुक्त पदार्थ बाहर निकाले जाते हैं ।
2. विरेचन :- इस प्रक्रिया के तहत औषधि सेवन करवा के मल के द्वारा अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकाले जाते हैं ।
3. नश्य :- पंचकर्मा की तीसरी प्रकिया में नाक के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकाले जाते हैं ।
4. अनुवासन वस्ति :- इस अंतगर्त बॉडी को पौष्टिक तत्व दिये जाते हैं जिससे बॉडी की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती हैं ।
5. रक्तशोधक :- पंचकर्मा की अंतिम पद्धति के अनुसार खून का शोधन किया जाता हैं । जिससे बॉडी का इम्युनिटी पॉवर में वृद्धि होती हैं । अंत में अगर स्त्री पुरुष उचित आयु में प्रसन्न चित्त से तनाव को दूर रखते हुए संसर्ग में लिप्त हों तो एक अच्छी सुयोग्य संतान उत्पन्न कर सकते हैं।
अगर आप शादी के 1 बाद प्रेग्नेंट न हो पा रहे हैं । या आप आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की तलाश कर रहे हैं तो दिल्ली के आशा आयुर्वेदा सेंटर की डॉक्टर चंचल शर्मा मुख्य हैं । जहां आपका 5 हजार साल पुरानी हमारी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के ट्रीटमेंट किया जायेगा । अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :- 9811773770