कहीं आपके पीरियड्स में बदलते लक्षण हो सकते हैं निःसंतानता का कारण
पीरियड्स महिलाओं में हर महीने होने वाली एक प्रक्रिया है जो रोजमर्रा की ज़िन्दगी में थोड़े बदलाव और असहजता के साथ आती है। पीरियड्स में ब्लीडिंग होना, मूड स्विंग्स होना, थोड़े बहुत पेट दर्द होना एक नार्मल बात है इसमें परेशान होने जैसा कुछ भी नहीं है लेकिन यही लक्षण अगर बदलकर अनियमित पीरियड्स या अत्यधिक दर्द में तब्दील हो जाए तो चिंता का विषय हो सकता है। कई बार ये बदलते हुए लक्षण निःसंतानता के कारण भी हो सकते हैं।
निःसंतानता की स्थिति तब मानी जाती है जब 20 - 35 वर्ष की आयु का कोई कपल एक वर्ष तक असुरक्षित यौन सम्बन्ध तो बनाता है लेकिन कन्सीव करने में असफल हो जाता है, वहीँ अगर उनकी उम्र 35 वर्ष से अधिक है तब तो 6 महीने के प्रयास के बाद ही अगर नैचुरली कंसीव नहीं कर पते हैं तो उन्हें डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। वैसे तो निःसंतानता के कारण अनेक हैं, खासतौर पे आजकल जिस प्रकार की जीवनशैली हमारी होती जा रही है उसमे हमारा शरीर अनेक बीमारियों का घर बन चुका है और यही बीमारियां शरीर के उन हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है जो प्रजनन के लिए बहुत आवश्यक है।
बदलते हुए पीरियड्स के लक्षण, जिसे देखकर हो जाना चाहिए सावधान :
- 21 दिन से कम समय या 35 दिन से अधिक समय में पीरियड्स का दुबारा आना।
- पीरियड्स के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग होना।
- पेट के निचले हिस्से या पीठ में असहनीय दर्द होना।
- सेक्स के दौरान असहनीय दर्द होना या ब्लीडिंग होना।
- लगातार 3 से 4 महीने तक पीरियड्स मिस होना।
- अधिक लम्बे समय तक पीरियड्स का चलना।
- पीरियड्स के दौरान कमजोरी, ऐंठन आदि महसूस करना।
- पीरियड्स में ब्लड के साथ थक्के जैसा कुछ फ्लो होना।
पीरियड्स के दौरान किसी भी महिला को उसके लक्षणों पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्यूंकि यह हर महीने होने वाली प्रक्रिया है जिसकी मदद से आप बदलाव को डिटेक्ट करके डॉक्टर से मिलकर भविष्य में होने वाली हानि से बच सकती हैं क्यूंकि यह बदलाव हो देखने में बहुत नार्मल लग रहे होंगे वही आने वाले दिनों में आपके लिए गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकती है।
पीरियड्स के सामन्य पैटर्न में बदलाव हार्मोनल असंतुलन की निशानी हो सकती है जिससे PCOS या PCOD जैसी बीमारी हो सकती है और भविष्य में यही बीमारी माँ बनने के आपके सपने में रूकावट भी बन सकती है। इसलिए इन बदलावों पर गौर करें और जरुरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें।
पीरियड्स के बदलते लक्षणों को देखते हुए आपके डॉक्टर आपको कुछ परिक्षण कराने का सुझाव दे सकते हैं जिससे उनको मामले की जड़ का पता लग पाए। अगर कोई गंभीर समस्या नहीं पायी जाती है तो प्रायः डॉक्टर उसे दवाइयों की मदद से ही ठीक करने की कोशिश करते हैं लेकिन अगर कोई गंभीर या जटिल बीमारी का पता चलता है तो सर्जरी करने की भी जरुरत पड़ सकती है। इसलिए बेहतर यही होगा की कोई भी बदलाव नजर आते ही आप सचेत हो जाएँ। आजकल लोगों का बढ़ता हुआ वजन भी पीरियड्स को बाधित करता है और बाद में कन्सीव करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसा देखा गया है कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं उन्हें पीरियड्स के समय होने वाले क्रैम्प्स से भी राहत मिलती है और उनका मासिक धर्म भी नियमित रहता है साथ ही पीरियड्स के देर होने के जो भी कारण हैं उन सबसे बचाव में यह मददगार होता है इसलिए स्वस्थ जीवन जीने और निःसंतानता के उपचार के लिए नियमित एक्सरसाइज बहुत जरुरी है। मनुष्य के शरीर में कुछ जरुरी विटामिन और मिनरल्स की आवश्यकता होती है जिसका सेवन आप अपने आहार में पोषक तत्वों को इन्क्लुड करके कर सकते हैं। विटामिन डी और बी पीरियड्स को नियमित करने में तथा उससे होने वाले दर्द से राहत पहुँचाने में मदद करता है।
पीरियड्स में होने वाले बदलाव ओवेरियन सिस्ट, ट्यूबल ब्लॉकेज, PCOD, PCOS के लक्षण हो सकते हैं इसलिए आप सभी लक्षणों पर गौर फरमाएं और जरुरत पड़ने पर किसी अच्छे स्वास्थ्यसेवा विशेषज्ञ से परामर्श ले क्यूंकि यही आम दिखने वाले लक्षण निःसंतानता जैसी भयंकर समस्या का कारण बनके आपकी खुशियों की बगिया को खिलने से पहले ही उजाड़ सकते हैं।