Uterus Cyst in Hindi Aasha Ayurveda

बच्चेदानी में गांठ होना क्या होता है, लक्षण क्या है और इसका उपचार कैसे करते हैं?- डॉ चंचल शर्मा 

बच्चेदानी में गाँठ होना महिलाओं के यूटेरस से सम्बंधित एक आम समस्या है जो हर पांच में से एक महिला में देखा जा सकता है। कई बार लोग बच्चेदानी की गाँठ को कैंसर समझ लेते हैं लेकिन यह सच नहीं है। करीब 10000 मामलों में से एक में कैंसर होने का खतरा होता है। यह समस्या अक्सर 25-40 वर्ष की महिलाओं में देखी जाती है। इस बीमारी में किसी महिला के गर्भाशय में या उसके दीवार पर छोटे आकार की गांठें बन जाती हैं, जिसे आम बोलचाल में रसौली भी कहते हैं। यह निःसंतानता की बढ़ती समस्या का एक कारण हो सकता है। इसलिए सही समय पर इसका इलाज कराना बहुत जरुरी है।  

 

आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा इस विषय में बताती हैं कि बच्चेदानी में गाँठ होने के कई कारण सकते हैं लेकिन प्रायः यह देखा गया है कि जिन महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर अधिक होता है उनमे इसकी सम्भावना बढ़ जाती है। साथ ही जिन महिलाओं का वजन अत्यधिक होता है या परिवार में इसका कोई इतिहास रहा हो तो बच्चेदानी में गांठ होने का जोखिम बढ़ जाता है। बच्चेदानी में होने वाली यह गांठ आकार में अलग अलग हो सकती है। इसके कारण पीरियड्स में असहनीय दर्द होना और मोटापा जैसी समस्या देखी जाती है। 

 

 

बच्चेदानी में गाँठ होने के लक्षण क्या हैं? 

आमतौर पर बच्चेदनी में गाँठ होने के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं लेकिन कुछ सामान्य से लक्षण हैं जिनपर ध्यान देकर आप इस बीमारी की पहचान कर सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं : 

 

पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होना। 

पीरियड्स में अधिक दिनों तक ब्लीडिंग होना या मासिक चक्र का सामान्य से लम्बा चलना। 

पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द होना और पीठ के निचले हिस्से में दर्द या ऐंठन होना। 

सेक्स के दौरान अत्यधिक दर्द महसूस होना। 

बार बार पेशाब आना। 

पेट में सूजन होना। 

 

 

बच्चेदानी में गाँठ होने के कारण क्या होते है ?

बच्चेदानी में गाँठ होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन यहाँ उन प्रमुख कारणों को जानेंगे जो इसके लिए जिम्मेदार होते हैं : 

पारिवारिक इतिहास: अगर किसी महिला के परिवार में बच्चेदानी में गाँठ का पारिवारिक इतिहास रहा हो तो इस बात की सम्भावना बढ़ जाती है कि उसे भी यह समस्या होगी। 

हॉर्मोन: जिन महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन का स्तर अधिक होता है उनमे बच्चेदानी में गाँठ होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 

मोटापा: अक्सर यह देखा गया है कि बच्चेदानी में गाँठ की समस्या उन महिलाओं में अधिक होती है जो मोटापा का शिकार हों। 

बढ़ती उम्र: बच्चेदानी में गाँठ होने की सम्भावना उन महिलाओं में अधिक होती है जिनकी उम्र 30 से अधिक हो। 

लाइफस्टाइल: जो महिलाएं शारीरिक रूप से बहुत एक्टिव नहीं होती हैं और शराब, सिगरेट जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करती हैं उनमे बच्चेदानी में गाँठ होने की सम्भावना सामान्य महिलाओं की तुलना में अधिक होती है। 

 

 

बच्चेदानी में गाँठ का उपचार क्या है? 

 डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि बच्चेदानी में गाँठ होने पर उसका आयुर्वेदिक उपचार संभव है, जो पूर्णतः प्राकृतिक दवाओं, थेरेपी, डाइट, एक्सरसाइज द्वारा बिना किसी सर्जरी के किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार बच्चेदानी की गाँठ का मुख्य कारण वात और कफ दोष के बैलेंस में परिवर्तन होता है। इसलिए डॉक्टर पंचकर्मा थेरेपी के माध्यम से दोषों को संतुलित करने का कार्य करते हैं। उपचार का तरीका और अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि आपके गाँठ का साइज क्या है? विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरान आपको उन्ही खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिसे आसानी से पचाया जा सके। क्यूंकि अगर आपकी पाचन शक्ति सही रहेगी तो शरीर के अंदर जो भी गंदगी मौजूद है उसे आसानी से बाहर निकाल पाना संभव होगा। आप त्रिफला, हल्दी, शतावरी, अशोका आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ आप अपनी लाइफस्टाइल में भी बदलाव लाएं ताकि आसानी से और कम समय में रिकवरी हो सके।