पीसीओएस (Pcos) में कैसे प्रभावित होता है गर्भधारण और क्या है उपचार

बाहर से स्वस्थ दिखने वाली महिलाएं भी कई बार बहुत सी बीमारियों से जकड़ी हुई रहती है और उन्हें खुद को पता भी नही रहता कि उसके शरीर में कौनसी बीमारियों ने घर कर लिया है ।इन्ही में से एक है pcos की बीमारी जो ज्यादातर होती तो युवावस्था में ही है पर इसका पता तो महिला को गर्भधारण नही होने पर ही चलता है ।

 

 पीसीओएस (PCOS) क्या है?

 

इस प्रॉब्लम को पोलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (polycystic Ovarian syndrome ) कहा जाता है । यह एक हार्मोनल और साइकोसोशल बीमारी है । जिसे महिलाएं जान कर भी अनदेखा कर देती है पर हां उचित देखभाल से इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है ।

 

 
PCOS (polysytic ovaries syndrome )

पोलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम के लक्षण और कारण  क्या है ? इस बीमारी में गर्भधारण क्यों प्रभावित हो जाता है ?

 

इस बीमारी के मुख्यतः  मासिकधर्म अनियमित हो जाता है और चेहरा मुंहासों से भर जाता है ।त्वचा और अधिक तैलीय हो कर स्किन प्रॉब्लम शुरू हो जाती है । यह बीमारी होने पर रोगी का भावात्मक तनाव बढ़ जाता है। रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा  रहने लग  जाता है । और उसको आलस अधिक आता है। शरीर में बालों की संख्या बढनी शुरू हो जाती हैं । मेल हॉर्मोन का लेवल बढ़ जाता है और अंडाशय पर एक से अधिक सिस्ट होने लग जाते हैं जिसके कारण गर्भधारण में दिक्कत आती है । हार्मोन्स की गड़बड़ी के कारण रोगी के शरीर में मोटापा अधिक बढ़ जाता है । वह थायराइड, हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह जैसी बीमारियों से भी घिर जाता है ।

 

 

Pcos  से बचाव और आयुर्वेद में इसका क्या निदान है ?

 

इस बीमारी से बचने के लिए महिलाओं को अपनी तनाव पुर्ण जिंदगी से बाहर निकलना होगा ।अपनी दिनचर्या को नियमित करना होगा यह बीमारी भावात्मक होती है तो खुद को हर स्ट्रैस से दूर रखना ही इसका सही विकल्प होगा । इन सबके साथ सबसे जरूरी होता है अपने खान पान में पौष्टिक आहार की भरमार  क्योकि हेल्दी आहार ही बीमारियों से लड़ने की diseasa immunity बढ़ाता है ।

 

आइये जानते है आयुर्वेद ने इस बीमारी से बचने के लिए क्या उपाय बताया है । जो महिलाएं मातृत्व सुख से वंचित है । फर्टिलिटी को आयुर्वेद ट्रीटमेंट से दुरस्त किया जा सकता है । आयुर्वेद इस बीमारी का बेस्ट विकल्प माना गया है । आयुर्वेद एक ऐसा ट्रीटमेंट है जिसमें no side effects  के साथ हर किसी बीमारी को जड़ से ठीक किया जा सकता है ।

 

योगासन - योगासन के द्वारा पीसीओएस को संतुलित किया जा सकता है। बटरफ्लाई योग से पेट की बीमारियों में लाभ मिलता है ।

ध्यान मुद्रा से मस्तिष्क को तनाव मुक्त किया जा सकता है । इसके अलावा पंचकर्मा पद्धति से इस बीमारी में बहुत अधिक लाभ मिलता है ।आयुर्वेद में पंचकर्मा विधि क्या है आइए जानते हैं -

 

 

पंचकर्मा (पाँच कर्म) होते हैं जो कुशल एक्सपर्ट की देखरेख में सम्पन्न किये जाते हैं । जिससे मरीज की अंदरूनी ताकत में इजाफा होता है शरीर रोगमुक्त होकर फुर्तीला बन जाता है ।

 

 

वमन प्रक्रिया - इस प्रक्रिया में मरीज को उल्टी आने की औषधि दी जाती है बार बार उल्टी आने पर पेट मे जमा जहरीली ऐसिड युक्त वायु और विषाक्त पदार्थ उल्टी के साथ बाहर निकल जाते हैं । जो लोग फास्टफूड व तली हुई चीजें ज्यादा कहते हैं उनके लिए ये बेस्ट विकल्प होता है ।और नीं लोगों को वात ,पित और अस्थमा की शिकायत है उनके लिए तो ये प्रक्रिया रामबाण शिद्ध होती है ।इसके साथ ही जो लोग मोटापे का शिकार होते हैं उनकी फालतू चर्बी  इस क्रिया से घट जाती है ।

 

विरेचन प्रक्रिया - इस प्रक्रिया में रोगी को दस्त लगने की औषधि दी जाती है  बार बार दस्त लगने के कारण पेट मे जमा सारा विषाक्त अवयव और दूषित गैस मल के साथ बाहर निकल जाते है । जिन लोगों को कब्ज की शिकायत होती है और रोज पेट ठीक से साफ नहीं हो पाता उनके लिए यह क्रिया काफी फायदेमंद होती है ।

 

 

 नस्य प्रक्रिया - इस प्रक्रिया में नाक में आयुर्वेदिक तेल डाल जाता है जो मष्तिष्क में जमा वात, पित, कफ को नाक के रास्ते बाहर निकाल देता है साथ ही डिप्रेशन की बीमारी में भी ये पद्धति से बहुत आराम मिलता है ।

 

अनुवासन वस्ती प्रक्रिया - इस प्रक्रिया द्वारा शरीर को पोष्टिक आहार दिया जाता ह ।रोगी को खूब दूध दही , और हरी सब्जियों वाला आहार दिया जाता है ताकि शरीर ज्यादा ऊर्जावान बने और शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ सके वास्तव में तो सारी बीमारियों की जड़ शरीर को पोष्टिक आहार नही मिल पाना ही होती है इस क्रिया से शरीर में काफी हेल्दी और सक्रिय होकर काम करता है ।

 

 

रक्त मोक्षण प्रक्रिया - इस प्रक्रिया द्वारा शरीर में दूषित रक्त को साफ किया जाता है ।आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से निर्मित औषधी के द्वारा ब्लड को शुद्ध किया जाता है जिससे रक्त संचार सही हो । इस पद्धति से उच्च रक्तचाप , मधुमेह और थाइराइड वाले रोगियों को बहुत ही फायदा मिलता है । त्वचा संबंधी रोगों में भी बहुत आराम मिलता है इसके साथ ही बालों से संबंधित सभी समस्याओं से भी निजात मिलता है ।

 

अब प्रश्नोत्तरी

 

प्रश्न 1. PCOS किसे कहते है? (What is pics)

 

Pcos यानी पोलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम कहा जाता है यह एक हार्मोनल और साइकोसिस बीमारी है हार्मोन असन्तुलन होने पर यह बीमारी होती है ।

 

प्रश्न 2. क्या PCOS की प्रॉब्लम होने पर गर्भधारण  हो सकता है ? यदि हां तो कैसे ?

 

जी हाँ pcos प्रॉब्लम में गर्भधारण हो सकता है । उचित ट्रीटमेंट के बाद हार्मोन्स को संतुलित करके गर्भधारण किया जा सकता है । आयुर्वेद में इस बीमारी का उचित समाधान है ।

 

3. इस प्रॉब्लम किस उम्र में और क्यो होती हैं ?

वास्तव में तो इस बीमारी की शुरुआत युवावस्था में ही हो जाती है । पर शुरू में इस प्रॉब्लम का पता नही चलता है फिर जब गर्भधारण में दिक्कत आती है तब यह प्रॉब्लम पकड़ में आती है ।

 

 

4. क्या आयुर्वेद से PCOS का इलाज सम्भव हैं यदि हां तो कैसे । ( How to possible PCOS treatment in Ayurveda )

 

जी हाँ ! आयुर्वेद में आज हर बीमारी का इलाज संभव है और लोगों का आयुर्वेद में विश्वास भी बहुत बढ़ा है ।आयुर्वेद में पंचकर्मा पद्धति द्वारा इसका इलाज संभव है ।

 

5. दिल्ली में ऐसा कोई डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सा बताये जहां pcos का इलाज होता हैं ।

दिल्ली में Pcos के बेस्ट डॉक्टर्स की बात करें तो आशा आयुर्वेदा सेंटर दिल्ली की डॉ. चंचल शर्मा हैं । इस पर आपको आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से बेहतर ट्रीटमेंट दिया जाता हैं ।

 

इसे भी पढ़ें : - आधुनिक महिलाओं में बांझपन की बीमारी का कारण और निदान

 

Jane Dr. Chanchal Sharma Se PCOS Ke Bare Mai