बंद फैलोपियन ट्यूब के लिए नेचुरल ट्रीटमेंट- आशा आयुर्वेद
हर महिला की इच्छा शादी के बाद मां बनने की होती है, लेकिन खराब जीवनशैली और खानपान के कारण महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं में निसंतानता अक्सर बंद या क्षतिग्रस्त फैलोपियन ट्यूब के कारण होता है। फैलोपियन ट्यूब एक महिला की प्रजनन प्रणाली में ट्यूब होती हैं जो अंडाशय (जहां अंडे जमा होते हैं) से गर्भाशय में अंडे को पहुंचाने में सहायता करती हैं। लेकिन फैलोपियन ट्यूब बंद होने के वजह से महिला नेचुरल तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाती है।
हर महीने महिला के अंडशय में अंडे मैच्योर होकर फैलोपियन ट्यूब के जरिए गर्भाशय तक पहुंचता है। इसी ट्यूब में महिला का अंडा पुरूष के स्पर्म से मिलता है जो निषेचन की प्रक्रिया को पूरी करता है और भ्रूण बनता है। यह भ्रूण गर्भाशय में जाकर शिशु धीरे धीरे विकास करता है। हर महिला की दो ट्यूब होती है, अगर एक ट्यूब ब्लॉक हो जाती है तो महिला के गर्भधारण के चांस 50 फिसदी तक होते है। और महिला दूसरी ट्यूब से Fallopian Tube Blockage Treatment के साथ मां बन सकती है। लेकिन दोनों ट्यूब ब्लॉक होने से महिला किसी भी सूरत में प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाती है।
फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने का कोई सटीक कारण स्पष्ट रूप से तो नहीं बताया गया है। लेकिन आमतौर पर डॉक्टर चंचल शर्मा का कहना है कि पेल्विक इंफेक्शन या किसी भी तरह का संक्रमण, पेट की सर्जरी, बार बार मिसकैरेज होना, टीबी और आनुवांशिकता ट्यूबल ब्लॉकेज का कारण हो सकता है।
वहीं फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक के लक्षण सामान्य हो सकते है जिसके कारण महिलाएं इस बारे में समझ नहीं पाती है। इस दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज निकलना और सेक्स करते समय दर्द होना आदि लक्षण देखने को मिलते है।
आयुर्वेद में Treatment For Hydrosalpinx और ट्रीटमेंट फॉर ट्यूबल ब्लॉकेज संभव है। आयुर्वेद की प्रचीन पद्धति से उत्तरबस्ती के नाम से जानी जाने वाली आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रिया काफी उपयोगी है। इस प्रक्रिया का उपयोग आयुर्वेद में बिना कोई चीरा लगाए फैलोपियन ट्यूब को ठीक करने के लिए किया जाता है। इलाज के दौरान आयुर्वेदिक दवाइयां ही खाई जाती हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति उत्तर बस्ती विधि महिलाओं की सूनी कोख के लिए वरदान साबित हुआ है। Female infertility Treatment in Delhi होने के बाद लोगों के दिमाग में सबसे पहले आईवीएफ आता है। हालांकि, ज्यादातर आईवीएफ मामलों में निषेचन के बाद भी महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है। लाखों खर्च होने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलता है। एक चिकित्सक के रूप में डॉ. चंचल शर्मा का मानना है कि आयुर्वेदिक दवा महंगे आईवीएफ उपचार से बेहतर है। जैसे एलोपैथिक चिकित्सा में आईवीएफ ट्रीटमेंट है वैसे ही आयुर्वेद में प्राकृतिक चिकित्सा संभव है। आईवीएफ के महंगे इलाज की तुलना में उत्तर बस्ती की चिकित्सा कई गुना सस्ती है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इस प्रक्रिया की सफलता दर आईवीएफ के मुकाबले ज्यादा है।