महिला बांझपन: कारण, लक्षण, निदान और इलाज
महिला बांझपन, बाँझपन की वह स्थिति है जब कोई महिला कई प्रयासों के बावजूद माँ नहीं बन पाती है। यह समस्या तब मानी जाती है जब 35 वर्ष से कम की उम्र की कोई महिला एक साल तक असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाती है। वहीँ अगर किसी महिला की उम्र 35 वर्ष से ज्यादा है तो लगातार 6 महीने तक असुरक्षित यौन सम्बन्ध (unprotected sex) बनाने के बाद कंसीव ना कर पाने की स्थिति में उसे बाँझ मान लिया जाता है। यहाँ प्रेगनेंसी ठहरने या कन्सीव करने की कोशिश करने से मतलब यह है कि आप बिना किसी गर्भनिरोधक के इस्तेमाल के रेगुलर सेक्स करते हैं।
महिला बांझपन क्या है? (What is female infertility)
बांझपन का कारण एक कपल में से कोई भी एक व्यक्ति या दोनों हो सकते हैं। क्यूंकि गर्भधारण (pregnancy) में दोनों की भूमिका समान होती है। जब किसी पुरुष के प्रजनन अंगों में कोई कमी पायी जाती है तो उसे पुरुष बांझपन कहते हैं। वहीँ जब किसी महिला पार्टनर की वजह से कन्सीव करने में बाधा आती है तो उसे महिला बाँझपन (female infertility) की स्थिति मानी जाती है।
महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण उनकी बढ़ती हुयी उम्र, हॉर्मोन्स का असंतुलन, अनियमित एक्सरसाइज, व्यस्त जीवनशैली, अधिक तनाव, मेडिकल प्रोब्लेम्स, आदि हो सकते हैं।
महिला बांझपन के प्रकार क्या हैं? (What are the types of female infertility)
महिला बांझपन के दो प्रकार होते हैं 1. प्राथमिक बांझपन (primary infertility) तथा 2. द्वितीयक बांझपन (secondary infertility)
1. प्राथमिक बांझपन (primary infertility): प्राथमिक बांझपन वह अवस्था है जब कोई 35 वर्ष से कम उम्र की महिला एक साल के प्रयास के बाद और 35 वर्ष से ज्यादा की महिला 6 महीनों के प्रयास के बाद भी कन्सीव नहीं कर पाती है। ऐसी स्थिति में महिला एक भी बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होती है।
2. द्वितीयक बांझपन (secondary infertility): यह बांझपन की वह अवस्था है जिसमे कोई महिला पहले बच्चे को तो सफलतापूर्वक जन्म दे चुकी होती है लेकिन दूसरी बार गर्भधारण का प्रयास करने पर प्रेगनेंट नहीं हो पाती है।
महिला बांझपन कितना सामान्य है? (How common is female infertility)
World Health Organization (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) की रिपोर्ट के अनुसार आजकल बांझपन की समस्या वैश्विक स्तर पर एक चिंतिनिय विषय बन चूका है। अभी दुनिया में हर 6ठा व्यक्ति बांझपन का शिकार है। यदि हम महिला बाँझपन की बात करें तो यह आंकड़ा 10% तक पहुँच जाता है। यानि हर 100 में से 10 महिला किसी ना किसी कारण से गर्भधारण करने में असमर्थ है।
महिला बाँझपन के लक्षण क्या हैं? (What are the symptoms of female infertility)
महिला बाँझपन के कई लक्षण हो सकते हैं जिनमे से कुछ यहाँ दिए जा रहे हैं-
इर्रेगुलर पीरियड्स: किसी भी महिला का मासिक चक्र एक नियमित गति से चलता है जिससे वह यह अनुमान लगा पाती है कि अगले महीने फिर उसका पीरियड्स कब शुरू होगा। कई बार पीरियड्स में कुछ दिन का फेर बदल हो सकता है लेकिन अगर अगर आपका पीरियड्स लगातार ऐसे ही अनियमित चलता है तो आपको इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। अनियमित मासिक चक्र के कई कारण हो सकते हैं जैसे- स्ट्रेस, हॉर्मोन्स का संतुलित ना होना या पीसीओएस/पीसीओडी (PCOS/PCOD), आदि।
पीरियड्स का बिलकुल भी नहीं आना : अक्सर महिलाओं में स्ट्रेस की वजह से या अत्यधिक एक्सरसाइज करने की वजह से कई बार पीरियड्स नहीं आता है। अगर एक बार ऐसा हुआ है तो यह सामान्य सी बात हो सकती है लेकिन लगातार कई महीनों तक पीरियड्स मिस होना बांझपन का लक्षण हो सकता है।
पीरियड्स में ज्यादा दर्द या ब्लीडिंग होना: पीरियड्स के दौरान महिलाओं के पेट में ऐंठन होना एक आम बात है लेकिन जब यह समस्या हद से ज्यादा होने लगे तो चिंता का विषय बन सकता है। अगर आपका पेट दर्द असहनीय होता है और ब्लीडिंग भी बहुत ज्यादा होती है तो यह इनफर्टिलिटी का संकेत हो सकता है। ये लक्षण एंडोमेट्रिओसिस के भी हो सकते हैं जो माँ बनने के आपके सपने में बहुत बड़ा रुकावट है। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार है -
- सेक्स के दौरान असहनीय दर्द होना
- अनियमित पीरियड्स
- थकान
- पीठ दर्द
- जी मिचलाना
महिला बाँझपन का कारण क्या है? (What are the causes of female infertility)
महिला बांझपन (female infertility) के कारण बहुत स्पष्ट तो नहीं है क्यूंकि यह अलग अलग लोगों में भिन्न भिन्न हो सकता है। यहाँ ऐसे कारणों के बारे में चर्चा करेंगे जो सामान्यतः किसी भी बाँझ महिला में पाए जाते हैं -
यूटेरस से जुडी समस्या : इस तरह की समस्या में किसी भी महिला के यूटेरस में सिस्ट या फाइब्रॉइड जैसी संरचना देखने को मिलती है। यह किसी भी कारण से हो सकता है और इसे आयुर्वेदिक उपचार द्वारा ठीक भी किया जा सकता है।
फॉलोपियन ट्यूब से जुडी समस्या: महिला बाँझपन का एक बहुत बड़ा कारण ट्यूबल फैक्टर है। जब किसी महिला के फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होती है तो एग फर्टिलाइज़ होने में दिक्कत होती है और उस महिला के लिए माँ बनना मुश्किल हो जाता है। कई बार यह समस्या गर्भाशय की टीबी के कारण भी हो सकता है। किसी महिला के शरीर में 2 फैलोपियन ट्यूब्स होते हैं, अगर एक ब्लॉक हो जाये तो माँ बनना संभव है लेकिन अगर दोनों ट्यूब्स ब्लॉक हो जाती हैं तो यह स्थिति बांझपन का कारण बन सकती है।
ओवुलेशन सम्बंधित समस्या: कुछ महिलाओं में ऐसी समस्या भी पायी जाती है कि उनका एग ही नहीं बनता है। कई बार यह समस्या अनियमित होती है यानि किसी महीने वो एग रिलीज करती हैं तो किसी महीने नहीं करती हैं। लेकिन कुछ महिलाओं में यह समस्या लम्बे समय तक बनी रहती है जो इनफर्टिलिटी का एक कारण हो सकता है। अंडे ना जारी करने के कई कारण होते हैं जैसे थायरॉइड, असंतुलित हॉर्मोन्स, स्ट्रेस, स्वस्थ पौष्टिक आहार का सेवन ना करना, फिजिकली एक्टिव ना होना, आदि।
महिलाओं की एग की क्वालिटी की समस्या: महिलाओं के शरीर में जन्म के साथ ही एक निश्चित संख्या में एग पाए जाते हैं जो मेनोपॉज की उम्र तक धीरे धीरे हर महीने रिलीज होते हैं। कई बार इनकी संख्या कम होने के कारण उनका मेनोपॉज बहुत कम उम्र में हो जाता है और इस स्थिति को एग की संख्या कम होना माना जाता है। वहीँ कुछ महिलाओं में खान पान की गड़बड़ी के कारण एग की गुणवत्ता ख़राब हो जाती है। यह सभी समस्या एक महिला में बांझपन का कारण बन सकती है।
महिला बांझपन के मुख्य कारण क्या क्या हैं? (What are the main reasons of female infertility)
महिला इनफर्टिलिटी का प्रमुख कारण एग की क्वालिटी और संख्या में आने वाली गिरावट है। महिलाओं की ओवरी में हर महीने एग बनता है और अगर वह स्पर्म के कांटेक्ट में नहीं आ पाता है तो रप्चर होकर पीरियड्स ब्लड के रूप से शरीर से बाहर आ जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं का मासिक चक्र अनियमित होता है जिसे पीसीओएस (PCOS) की समस्या भी कहा जाता है। जो महिलाओं में बांझपन का एक मुख्य कारण होता है। आशा आयुर्वेदा में PCOD या PCOS की समस्या का आयुर्वेदिक उपचार उपलब्ध है। इसमें डाइट, थेरेपी, एक्सरसाइज आदि द्वारा आपका इलाज किया जाता है जिससे आपकी समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सके और महिला बांझपन से छुटकारा पाने की आपकी इच्छा पूरी हो सके।
महिला बांझपन के जोखिम कारक क्या हैं? (What are the risk factors for female infertility)
महिला बांझपन को बढ़ावा देने वाले बहुत सारे जोखिम कारक हो सकते हैं। उनमे से कुछ कारकों के बारे में यहाँ चर्चा करेंगे :
- आजकल लोगों के बीच अपने भविष्य और करियर को लेकर जागरूकता काफी बढ़ गयी है। इसलिए महिलाएं शादी से पहले अपना करियर बनाना चाहती हैं और कई बार यह सब करते करते देरी हो जाती है और जब शादी देरी से होती है तो बच्चे पैदा करने में भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्यूंकि जैविक रूप से 30 की उम्र के बाद किसी भी महिला की प्रजनन क्षमता कम होने लगती है।
- कम वजन होना भी एक कारक हो सकता है क्यूंकि माँ बनने से पहले किसी भी महिला का स्वास्थ्य अच्छा होना बहुत जरुरी है। कई बार वजन की कमी इस बात का सूचक होता है की अभी आपका शरीर कन्सीव करने के लिए तैयार नहीं है। यह किसी भी कारण से हो सकता है जैसे ताकत की कमी, आयरन की कमी या किसी भी जरुरी पोषक तत्वों की कमी।
- मोटापा बांझपन का एक सामान्य सा दिखने वाला कारक है। अक्सर लोगों के मन में यह भ्रम होता है कि वजन ज्यादा होने का अर्थ है की वो बहुत स्वस्थ और ताकतवर हैं। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है क्यूंकि मोटापा इस बात की ओर संकेत करता है की आपका स्वास्थ्य ख़राब हो रहा है और अब समय आ गया है कि आप सचेत हो जाएँ नहीं तो बढ़ता हुआ वजन बांझपन की वजह भी बन सकता है।
- अनियमित पीरियड्स भी बांझपन का जोखिम कारक हो सकता है।
- हॉर्मोन्स का असंतुलित होना या उसकी वजह से उत्पन्न होने वाली कोई भी बीमारी बांझपन का जोखिम कारक हो सकता है।
- एंडोमेट्रिओसिस (endometriosis)
- यूटेरस में सिस्ट (uterus cyst)
- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (sexually transmitted disease)
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी (ectopic pregnancy)
- शराब, सिगरेट या अन्य किसी भी नशीली पदार्थ का सेवन करना महिला बांझपन का एक जोखिम कारक हो सकता है।
महिला बांझपन पर बढ़ती हुयी उम्र का क्या असर होता है? (What are the effects of aging on female infertility)
बांझपन की बढ़ती हुयी समस्या को ध्यान में रखते हुए एक शोध किया गया जिसमे यह पाया गया कि इनफर्टिलिटी की समस्या ज्यादातर उन्ही कपल्स में देखी जाती है जिनकी उम्र 30 से ज्यादा हो चुकी है। यह महिला या पुरुष किसी एक साथी की वजह से या दोनों की वजह से हो सकता है। उम्र बढ़ने के साथ लोगों की प्रजनन क्षमता कम होने लगती है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:
- एक स्त्री के शरीर में सिमित संख्या में अंडे होते हैं जो बढ़ती उम्र के साथ घटने लगते हैं।
- जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, स्वास्थ्य खराब होने लगता है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर में अन्य रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है और शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी भी कम होने लगती है।
महिला बांझपन के निदान के लिए डॉक्टर आपसे कौन-कौन से प्रश्न पूछ सकते हैं ? (What questions can doctors ask you to diagnose female infertility?)
बांझपन के इलाज के दौरान डॉक्टर आपसे कई तरह की जानकारी एकत्रित करने की कोशिश कर सकता है। जिसमे आपके स्वास्थ्य और शरीर से सम्बंधित जानकारियां शामिल हैं। आपकी पूर्व चिकित्सा के बारे में सवाल पूछे जा सकते हैं। डॉक्टर आपसे निम्नलिखित सवाल पूछ सकते हैं :
- वो सबसे पहले आपके पीरियड्स के दिनों के बारे में पूछेंगे जैसे पीरियड्स के दौरान ब्लड का फ्लो कैसा रहता है? पीरियड्स के दौरान दर्द कैसा होता है और आपका मासिक चक्र (menstrual cycle) कितने दिनों का होता है?
- पहले कितनी बार कन्सीव किया है और कितनी प्रेगनेंसी सफल हुयी है।
- पहले कभी भी पेल्विक क्षेत्र की सर्जरी हुयी है या नहीं ?
- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज का कोई इतिहास रहा है तो उसके विषय में जानकारी।
महिला बांझपन के निदान हेतु किये जाने वाले परीक्षण क्या हैं? (What are the tests used to diagnose female infertility?)
महिला बांझपन के सम्पूर्ण उपचार के लिए डॉक्टर पहले आपके शरीर की पूरी जांच करते हैं जिसमे से कुछ तो वहीँ बैठे बैठे कर लिया जाता है जैसे - पेल्विक की जांच, शारीरिक जांच। लेकिन कुछ जांच ऐसे होते हैं जिन्हे आप लैब में जाकर ही करवा सकते हैं। उनमे शामिल हैं :
ब्लड टेस्ट: आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता आपको ब्लड टेस्ट करवाने के लिए बोल सकते हैं क्यूंकि उससे आपके शरीर में हॉर्मोन्स की स्थिति, थाइरॉइड की जांच तथा डिंबग्रंथि यानी बचे हुए अण्डों की संख्या की जांच की जाती है।
एचएसजी टेस्ट: यह टेस्ट किसी महिला के फैलोपियन ट्यूब की ब्लॉकेज की जांच करने के लिए एक डाई की मदद से एक्स रे द्वारा किया जाता है।
अल्ट्रासाउंड: इसके द्वारा जननांगों की आतंरिक स्थिति को जानने की कोशिश की जाती है।
महिला बांझपन का आयुर्वेदिक उपचार कैसे किया जाता है ? (Ayurvedic treatment for female infertility)
प्रत्येक महिला में निःसंतानता के इलाज की अवधि और ट्रीटमेंट का तरीका अलग अलग हो सकता है। यह बहुत से कारकों पर निर्भर करता है जैसे महिला की उम्र, शारीरिक क्षमता, पुरानी मेडिकल हिस्ट्री, समस्या की अवधि, आदि। कोई भी डॉक्टर इलाज से पहले इन कारकों को ध्यान में रखता है तभी बीमारी को जड़ से खतम किया जा सकता है।
दवाएं: शुरुआती दौर में अगर बीमारी का पता चल जाये तो उसे दवाइयों के द्वारा ठीक किया जा सकता है। खासतौर से यदि ओवुलेशन में दिक्कत होने की वजह से गर्भधारण में समस्या उत्पन्न हो रही हो। आयुर्वेदिक इलाज के अंतर्गत समस्या की जड़ तक जाकर उसके कारणों को हर्बल्स की मदद से ठीक किया जाता है साथ ही आहार का भी ध्यान रखा जाता है।
डाइट: आप क्या खाते हैं इसका असर आपके शरीर पर देखा जाता है इसलिए डॉक्टर्स यह सुझाव देते हैं कि पौष्टिक आहार का सेवन करें। कोशिश करें कि आपके भोजन में सभी जरुरी नुट्रिएंट्स मौजूद हों। महिलाएं अपने एग की क्वालिटी अच्छी करने के लिए और जल्दी कन्सीव करने के लिए फौलीक एसिड से भरपूर मूँग दाल और मग्निसियम, सल्फेट जैसी micro nutrient से भरपूर आहार ग्रहण करें। आयुर्वेदा के अनुसार शुक्र धातु जिसे अंतिम या reproductive धातु भी कहते हैं, उसके पोषण के लिए आहार धातु का अंतिम रस धातु बहुत जरूरी है। इसकी एक पूरी प्रक्रिया है। इसलिये आप क्या खाते हैं यह प्रेगनेंसी के लिए बहुत जरुरी है।
प्राणायाम और योगा: आयुर्वेदिक उपचार में दवाओं के साथ रोगी को योगा और प्राणायाम करने की भी सालाह दी जाती है। साथ ही थेरेपी की सहायता से ट्यूबल ब्लॉकेज जैसी समस्या को भी समाप्त किया जा सकता है।
पंचकर्मा थेरेपी :
- वमन: वमन एक सफाई और विषहरण पंचकर्म है जिसमें वमन (उल्टी) को प्रेरित करके विषाक्त पदार्थों को व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से निकालना शामिल है। आमतौर पर सर्वोत्तम परिणामों के लिए वसंत ऋतु के दौरान इसे किया जाता है। वमन हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है, प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है और वजन घटाने में मदद करता है। पीसीओएस के दीर्घकालिक सफल प्रबंधन के लिए यह महत्वपूर्ण है।
- विरेचन: विरेचन एक और विषहरण पंचकर्म है जिसमें विरेचन (मल त्याग में वृद्धि) करके विषाक्त पदार्थों को निकालना शामिल है। पतझड़ के मौसम के दौरान अनुशंसित, विरेचन मोटापे, अनियमित या भारी मासिक धर्म, हार्मोनल असंतुलन, त्वचा रंजकता और पीसीओएस द्वारा उत्पन्न अन्य लक्षणों में बेहद प्रभावी है।
- बस्ती: बस्ती में विभिन्न आयुर्वेदिक औषधीय घी, तेल और कषाय या जड़ी-बूटियों के काढ़े शामिल हैं जिन्हें हर महिला की विशिष्ट स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किया जाता है। बस्ती प्रजनन प्रणाली को पोषण देती है और साथ ही इसे डिटॉक्सीफाई भी करती है। इसलिए, यह पीसीओएस में सबसे अधिक अनुशंसित उपचारों में से एक है।
- उत्तरबस्ती: उत्तरबस्ती (वस्ति) स्त्री रोग संबंधी स्थितियों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी उपचार है। पीसीओएस के मामले में, उत्तरबस्ती डिम्बग्रंथि अल्सर के विघटन, आर्तव वाह स्रोत को साफ करने, खराब अपान वायु को शांत करने और कूपिक परिपक्वता को बढ़ाने में सहायता करता है।
- प्रजनन मालिश: इसके अंतर्गत पेट के निचले हिस्से की मालिश की जाती है इससे पेल्विक क्षेत्र में ब्लड सर्कुलेशन में भी मदद मिलती है और गर्भाशय की प्राकृतिक कार्य प्रणाली को व्यवस्थित ढंग से चलाने में मदद करता है।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की वेबसाइट www.drchanchalsharma.com पर जाए या हमसे +91 9811773770 पर संपर्क करें।
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पुरुष / महिला से सम्बंधित किसी भी समस्या के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चंचल शर्मा से मिले जो की आयुर्वेद की पंचकर्मा पद्धति से निःसंतान दंपतियों का इलाज करती है।