नियमित व्यायाम से लेकर स्वस्थ आहार तक, महिलाओं में PCOD के खतरे को कम करेंगी ये आदतें
पीसीओडी एक महिलाओं में होने वाली एक हार्मोनल बीमारी है जिसका प्रतिशत आजकल बढ़ता ही जा रहा है। यह सामान्य सी दिखने वाली समस्या कई बार गंभीर रूप धारण करके आपके माँ बनने के सपने में बाधा बन सकती है। इसलिए यहाँ पीसीओडी के जुड़े सभी सवालों के जवाब ढूंढेंगे। किस तरह यह एक महिला की ज़िन्दगी को प्रभावित करता है और आप अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर नियमित व्यायाम से लेकर स्वस्थ आहार तक, महिलाओं में PCOD के खतरे को कम करने में और कौन सी आदतें जिम्मेदार हैं।
PCOD (पीसीओडी) क्या है? PCOD का Full form क्या है?
PCOD (पीसीओडी) एक हार्मोनल समस्या है, जो महिलाओं में पाया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 22 प्रतिशत महिलाएं इस रोग से ग्रसित हैं। PCOD का (full form) पूरा नाम Polycystic Ovary Syndrome (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) है।पीसीओडी क्या होता है (PCOD kya hota hai) इसे जानने के लिए इस बीमारी के बारे में ध्यान से अध्ययन करना होगा। इस बिमारी के अंतर्गत किसी महिला के ओवरी में छोटे छोटे सिस्ट बनने लगते हैं, जो आकार में किसी गाँठ जैसी दिखाई देती है। पीसीओडी का इलाज अगर सही समय पर नहीं किया गया तो यह महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकता है। पीसीओडी वाली महिलाओं के पीरियड्स नियमित नहीं होते हैं और पीरियड्स (periods) के दौरान उन्हें बहुत ज्यादा पेट दर्द, ऐंठन जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं में पुरुष हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है जिसकी वजह से उनके चेहरे पर बाल आने लगते हैं, उनका वजन बढ़ने लगता है और कील मुहांसे जैसी समस्या भी हो सकती है।
भारत में क्यों बढ़ते जा रहे है पीसीओडी (PCOD) के मामले
वैसे तो पीसीओडी एक वैश्विक समस्या बनकर उभरी है लेकिन भारत में इसके आंकड़े बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं जो खासतौर पर रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप की महिलाओं को प्रभावित कर रही है। भारत में करीब 20% महिलाएं इससे ग्रसित हैं। अगर ध्यान से देखें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट के अनुसार 20 साल से 35 साल के बीच की महिलाओं में यह बिमारी ज्यादा पायी जाती है।
पीसीओडी के लक्षण क्या हैं?
पीसीओडी की समस्या अगर लम्बे समय तक बनी रहती है और आप इसका कोई इलाज नहीं करवाते हैं तो यह बांझपन का कारण बन सकता है। इससे प्रभावित महिलाओं के चेहरे पर अनचाहे बाल, कील, मुहांसे आदि देखे जा सकते हैं। उनका वजन तेजी से बढ़ने लगता है, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, डायबिटीज आदि जैसी बिमारियों का खतरा बना रहता है।
महिलाओं की दिनचर्या में शामिल वह कौन सी आदतें हैं, जो PCOD के खतरे को कम करती हैं?
आजकल महिलाओं के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी आ गयी है। वो घर और बाहर के सभी कार्यों को बखूबी कर रही हैं लेकिन इनसब भागदौड़ कहीं न कहीं उनकी हेल्थ कोम्प्रोमाईज़ हो जाती है। महिलाएं अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान नहीं रख पाती हैं जिस वजह से उन्हें कई तरह की बीमारियां भी प्रभावित करती हैं। अगर आप पीसीओडी के कारणों को समझेंगीं तो पता चलेगा कि इस बीमारी से अपनी सुरक्षा करने के लिए आप एक व्यवस्थित जीवनशैली अपना सकती हैं। यहाँ 5 ऐसी आदतों के बारे में चर्चा करेंगें जिसे अपनाकर आप पीसीओडी (PCOD) के खतरे को कम कर सकती हैं।
पौष्टिक आहार का सेवन करें
जिन महिलाओं को PCOD की शिकायत है उन्हें अपनी जीवनशैली में पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए। इसके लिए आप ताजे फल, सब्जियों का सेवन कर सकती हैं। अपनी डाइट में उन चीजों को शामिल करें जिसमे प्रोटीन ज्यादा हो और फैट कम। बाजार में मिलने वाले प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से दूर रहें और घर का बना हुआ स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करें। चीनी या मीठे खाद्य पदार्थों से परहेज करें यह PCOD से पीड़ित महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है।
नियमित व्यायाम करें
जिन महिलाओं को पीसीओडी जैसी समस्या है उन्हें अपनी जीवनशैली में व्यायाम को जरूर शामिल करना चाहिए। इससे आपका शरीर स्वस्थ रहता है और तनाव भी कम होता है। अक्सर पीसीओडी वाली महिलाओं का वजन बढ़ जाता है जिसे कम करने के लिए उन्हें नियमित व्यायाम करना चाहिए। क्यूंकि अन्य सामान्य महिलाओं की तुलना में पीसीओडी से ग्रसित महिलाओं को शारीरिक रूप से एक्टिव होने की आवश्यकता ज्यादा होती है। नियमित व्यायाम करने से हार्मोनल संतुलन बना रहता है। व्यायाम में आप योग, एरोबिक्स, स्ट्रेचिंग, वेट ट्रेनिंग, आदि को शामिल कर सकते हैं।
तनाव कम करें
तनाव की वजह से भी आजकल कई तरह की समस्या होती है उसी में से एक है PCOD जिससे ग्रसित महिलाओं के लिए तनाव से दूर रहना बहुत जरुरी है। तनाव के कारण आपके हॉर्मोन्स असंतुलित हो सकते हैं। तनाव से आपके शरीर में कोर्टिसोल का उत्पादन बढ़ जाता है जिससे एस्ट्रोजन का उत्पादन प्रभावित होता है और एस्ट्रोजन हॉर्मोन आपके पीरियड्स को नियमित रखने के लिए बहुत जरुरी है।
वजन नियंत्रित रखें
PCOD के लिए वजन एक जोखिम कारक हो सकता है इसलिए महिलाओं को अपना वजन नियंत्रित रखना चाहिए। आप नियमित व्यायाम करके और पौष्टिक आहार का सेवन करके मोटापा कम कर सकती हैं जिससे PCOD की समस्या से राहत मिलेगी।
रेगुलर चेकअप करें
अगर आपको पीसीओडी का कोई भी लक्षण दिखाई देता है तो आप रेगुलर चेकअप जरूर कराएं। पीसीओडी के सम्बंधित किसी भी लक्षण को इग्नोर ना करें क्यूंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है और लम्बे समय तक अगर यह समस्या बनी रही तो निःसंतानता का कारण भी बन सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. पीसीओडी का मुख्य कारण क्या होता है?
पीसीओडी की समस्या मुख्यतः हॉर्मोन्स के असंतुलित होने के कारण होता है। इस असंतुलन का कारण मोटापा, नशीली पदार्थों का सेवन, अनहेल्दी खाना आदि हो सकता है।
2. पीसीओडी (PCOD) में कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए?
पीसीओडी को ठीक करने में योग की एक अहम भूमिका होती है यह आपके पेल्विक क्षेत्र में रक्त संचार को सही बनाये रखता है और तनाव को कम करता है। इसके लिए आप पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन, भ्रामरी प्राणायाम आदि का अभ्यास कर सकते हैं।
3. पीसीओडी में कौन सा फल खाना चाहिए?
जामुन, अनार, पपीता, आवंला, संतरा, आदि ऐसे फल हैं जो पीसीओडी में किसी भी महिला के लिए फायदेमंद होता है और इसे आपको खाना चाहिए।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पुरुषों से सम्बंधित रोग, महिलाओं के पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं।
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