About Ovulation, Fertility and Pregnancy in Hindi

गर्भधारण का भी अपना एक नियमित समय होता है। यह मासिक चक्र के आधार पर हर महिला में तय होता है की उसका ओव्यूलेशन का ठीक समय कौनसा होगा । क्योंकि हर महिला में मासिक चक्र अलग-अलग होता है इसलिए ओव्यूलेशन का समय भी सब महिला में अलग अलग होता है ।

 

आइये जाने ओव्यूलेशन (Ovulation ) होता क्या है ? यह किस तरह प्रेग्नेंसी को करता है प्रभावित :-

 

ओव्यूलेशन (Ovulation)  मासिक चक्र का ही हिस्सा माना जाता है क्योकि मासिक चक्र के आधार पर ही हम ओव्यूलेशन के समय का सही पता लगा सकते हैं । जो कि महिला गर्भधारण के लिए ओव्यूलेशन का सही समय जानना आवश्यक है जैसे किसी महिला का मासिक चक्र  28 से 30 दिन होता है तो उसका ओव्यूलेशन का समय 14 दिन के आसपास होता है ।और यदि किसी महिला का 35 दिन का मासिक चक्र है तो उसका ओव्यूलेशन समय 21 दिन के आसपास होता है ।ओर यही मासिक चक्र  यदि 21 दिन का  है तो ओव्यूलेशन का समय सातवें दिन के आसपास होगा उस समय पुरूष शुक्राणु से महिला अंडे का मेल होता है और वो अंडा फ़ॉलोपियन ट्यूब से गर्भाशय में जाता है  और महिला प्रेग्नेंट होती है । और 9 मास बाद शिशु का जन्म होता है ।

 

ओव्यूलेशन के साथ-साथ दूसरी बातों पर भी गौर करना जरूरी है क्योंकि कई बार पूरी तरह स्वस्थ होने पर भी और ओव्यूलेशन चक्र जानने के बाद भी महिला को गर्भधारण में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । जिसके लिए कई समस्याएं जिम्मेदार होती है । तो चलिए जानते हैं

 

फर्टीलिटी  :- ओव्यूलेशन भी बांझपन का एक कारण  होता हैं क्योंकि जब मासिक चक्र समय पर नहीं हो रहा है तो गर्भधारण में प्रॉब्लम हो सकती हैं ।

 

वजन समस्या - मोटापे से ग्रस्त महिला में पॉलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (pcos)  पीसीओएस होने की संभावना अधिक होती है। यह एक सिस्ट की समस्या होती है जो गर्भधारण में बाधा डालती है । Pcos होने पर इसका इलाज आयुर्वेद में बिना सर्जरी  के सफलतापूर्वक किया जाता है ।

 

दुबलापन - जो महिलाएं बहुत दुबली - पतली होती है तो उसके शरीर में लेप्टिन हार्मोन की कमी हो जाती है।  इस हार्मोन की कमी के कारण महावारी चक्र अनियमित हो जाता है और प्रेग्नेंसी में दिक्कत पैदा होती है बहुत दुबली-पतली महिलाओं की प्रजनन शक्ति भी कमजोर हो जाती है और कमजोरी के कारण गर्भधारण में दिक्कत होती है ।

 

अन्य बीमारियां - थायराइड ,मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अस्थमा जैसी कई ऐसी बीमारियां है जिनका समय पर इलाज न किया जाए तो यह गर्भधारण में समस्या खड़ी कर देती है । प्रेगनेंसी के लिए महिला को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है।

 

तनाव - किसी भी बीमारी की शुरुआत ज्यादातर तनाव से ही  शुरू होती है । किसी भी काम करने के लिए हमें अपने मस्तिष्क को उसके लिए तैयार करना बहुत जरूरी होता है और यही बात प्रेगनेंसी पर भी लागू होती है अगर महिला किसी तनाव में जूझ रही है तो ऐसे में वह डिप्रेशन का शिकार हो जाती है और शरीर में आवश्यक पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते और गर्भधारण में रुकावट आ जाती है ।

 

क्लेमाइडिया और गोनोरिया रोग -

ये एक तरह  यौन रोग होते हैं । जो संक्रमण से फैलते हैं जिसमें यौन अंगो पर सूजन हो जाती है इनका इलाज सही समय पर कराना जरूरी है नहीं तो यही बीमारियां गंभीर रूप धारण कर लेती है और गर्भधारण में समस्या खड़ी हो जाती है आयुर्वेद में प्रेगनेंसी से संबंधित सभी बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जाता है इसमें कुशल एक्सपर्ट की देखरेख में पंच कर्मा विधि को अपनाया जाता है जिससे सही प्राकृतिक चिकित्सा के साथ इलाज होता है आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा मासिक चक्र को ठीक  किया जाता है और महिला पूरी तरह गर्भधारण के लिए तैयार हो जाती है । आप हमारे आशा आयुर्वेदा सेंटर दिल्ली से सम्पर्क कर सकते हैं ।

 

योग - नियमित योग से हमे बहुत लाभ मिलता है शरीर में रक्त संचार ठीक होता है और प्रजनन शक्ति में इजाफा होता है ।