महिलाओं के शरीर में यदि कुछ इस तरह से संकेत मिलने लगे तो समझ लेना चाहिए कि भविष्य में कोई बीमारी हो सकती है। यदि महिलाओं के शरीर में अधिक बाल, मुहांसे और पीरियड्स अनियमित होने लगे तो यह लक्षण पीसीओडी की ओर इशारा करते है। पीसीओडी की समस्या हार्मोन में असंतुलन के कारण होती है और इसकी वजह से निःसंतानता (बांझपन) होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
पीसीओडी की समस्या एक ऐसी समस्या बन गई है जिससे 10 प्रतिशत महिलाएं प्रभावित है और पूरे विश्व में 1.55 मिलियन महिलाए इस बीमारी का सामना कर रही है । यह केवल 2017 तक के ही आंकड़े है। पीसीओडी की बीमारी होने से पहले महिलाओं का शरीर कुछ इस तरह के संकेत देने लगता है जैसे - चेहरे पर रोये या फिर शरीर के अन्य हिस्सों में बाल उगना, पीरियड मिस्ड होना, पेट के निचले भाग में पीड़ा होना प्रजनन संबंधी बीमारी का खतरा बन सकता है।
वर्तमान समय में युवतियों एवं महिलाओं में खानपान एवं जीवनशैली के कारण ओवरी में सिस्ट की समस्या एक कॉमन बात हो चुकी है। ओवरी में सिस्ट की समस्या इतनी तेजी के साथ फैल रही है कि इससे कम उम्र एवं अधिक उम्र वाली महिलाएं इससे अछूती नही है।
क्यों होते है पीरियड्स मिस्ड और अनचाहे बाल जानें खास वजह -
महिलाओं का एक नियमित मासिक चक्र होता है जिसकी अवधि 28 दिनों की होती है। परंतु महिलाओं के शरीर की प्रकृति के हिसाव से एक दो दिन आगे पीछे भी हो सकता है । मासिक धर्म की आदर्श स्थिति को 21 दिनों से 43 दिनों के बीच रखा गया है । यदि इस पैर्टन पर किसी महिला का मासिक धर्म चक्र आता है तो उसे नियमित माहवारी कहा जाता है। परंतु यदि 21 दिनों से कम और 43 दिनों से अधिक हो जाता है तो उसे अनियमित माहवारी या मिस्ड पीरियड कहते है।
खासतौर पर जब महिलाओं के शरीर में मेल हार्मोन की अधिकता अधिक हो जाती है तो उनके शरीर में अनचाहें रोये जैसे छोटे-छोट पतले बाल उगने लगते है। यह बाल बांझपन की ओर संकेत करते है क्योंकि जब हार्मोन का स्तर संतुलित नही रहता है तो इनफर्टिलिटी की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
पीरियड्स मिस्ड होने की कई वजह है । आज हर महिला एवं पुरुष कैरियर के चक्कर में इतना ज्यादा परेशान है कि उसे अपने स्वास्थ्य का तनिक भी ख्याल नही है। तनाव भरी जीवन शैली एवं खानपान की वजह, धूम्रपान , गंभीर बीमारी के कारण भी माहवारी अनियमित हो सकती है। इसके अलावा थायराइड एवं पीसीओडी इसकी मुख्य वजह है।
मुहांसे के साथ-साथ तैलीय त्वचा भी बन सकती है पीसीओडी की वजह -
ज्यादातर कम उम्र की युवतियां एवं महिलाएं मुहांसे के साथ-साथ यदि तैलीय त्वचा से परेशान है तो यह गंभीर बीमारी को न्यौता जैसी समस्या के संकेत है। यदि प्रजनन आयु की महिलाओं में मुहांसे, दर्दनाक माहवारी, मोटापा एवं अचानक से वजन बढ़ने जैसी समस्या है तो 90 प्रतिशत पीसीओडी होने की संभावना होती है।
पीसीओडी का आयुर्वेदिक इलाज (PCOD ka ayurvedic ilaj in Hindi) -
पीसीओडी की समस्या महिलाओं को शारीरिक एवं मानसिक दोनों तरीके से प्रभावित करती है। पीसीओडी से पहले महिलाओं के शरीर में कई सारे विकार देखने को मिलते है जैसे थकान, तनाव, चेहरे पर बाल , मुंहासे, माँ बनने में परेशानी , पीरियड्स खराब होना इत्यादि।
- दालचीनी के द्वारा पीसीओडी का इलाज - आयुर्वेद के कई सारे अध्ययनों से पता चलता है कि दालचीनी इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे हार्मोन में संतुलन आता है और मोटापे जैसी परेशानी भी दूर हो जाती है।
- पुदीना - पुदीना एक नेचुरल औषधि की तरह कार्य करता है। इसके सेवन से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का लेवल नियंत्रित होता है और शरीर में अतिरिक्त बालों की छुट्टी हो जाती है।
- मेथीदाना - भारतीय व्यंजनों में अपनी खास जगह रखने वाला मेथीदाना पीसीओडी से राहत दिलाने में अच्छी खासी भूमिका निभाता है। मेथी के सेवन से ग्लूकोज पाचन शाक्ति को बढ़ाती है और इंसुलिन के लेवन को कंट्रोल करती है।
- मुलेठी - मुलेठी के नियमित सेवन से टेस्टोस्टेरोन होर्मोन में कमी आती है जिससे प्रजनन क्षमता में सुधार रुप से वृद्धि होती है और पीसीओडी की समस्या दूर होती है।
ये भी पढ़े – Know About - Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) , Symptoms , Causes and Ayurvedic Treatment