Why women get PCOS PCOD disease know how diet and lifestyle affect it

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) प्रजनन आयु वर्ग की 8% से 13% महिलाओं को प्रभावित करता है ।  पीसीओडी की बीमारी प्रजनन और पाचन तंत्र संबंधी शिथिलता से जुड़ा होता है। खानपान और लाइफस्टाइल पीसीओएस जैसी समस्या को बढ़ावा देते है।  वजन को कम या नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक रणनीति का पालन करना एक अच्छा कदम साबित होगा। आहार, व्यायाम और व्यवहार को अपने जीवनशैली का हिस्सा मनाते हुए यदि आप उपचार में इसको शामिल करती है । तो आपको जल्द ही पीसीओडी की समस्या से राहत मिलगी। 

 

सबसे ज्यादा गौर करने वाली यह बात है कि घर और ऑफिस में काम करने वाली महिलाएं काम के चलते खुद का ख्याल नही रख पाती है। इस कारण से वह अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही कर जाती है। ऐसी व्यस्त लाइस्टाइल के चलते महिलाओं को कई प्रजनन स्वास्थ संबंधी समस्याएं अपने चुंगल में ले लेती है। 

 

आशा आयुर्वेदा की फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ चंचल शर्मा का कहना है, कि महिलाओं को माहवारी से जुड़ी छोटी-छोटी समस्याों को नजर अंदाज नही करना चाहिए। यदि आप अपने स्वास्थ्य के साथ ऐसा करती है तो आपको इनफर्टिलिटी से जुड़ी परेशानिया हो सकती है। उन्हीं समस्याओं में से एक पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या । आंकड़ो के आधार पर करीब 30 प्रतिशत महिलाएं पीसीओड़ी की परेशानी से माँ बनने में दिक्कतों का सामना करती है। 

 

क्यों होती है महिलाओं को पीसीओडी की समस्या ?

पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं पर हुए बहुत सारे अय्ययनों एवं शोधों के आधार पर पता चलता है।  कि जब महिलाओं एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है तो पीसीओडी के लक्षण दिखाई देने लगते है। यह अधिकांशतः प्रजनन उम्र की महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है। वर्तमान समय में तो अब कम उम्र कि युवतियों को भी पीसीओडी की समस्या तेजी से देखने को मिलती है। 

(ये भी पढ़िए – What is Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) - Symptoms, Causes and Treatment, PCOD Doctors?)

महिलाओं के शरीर में जब पुरुष हार्मोन का स्तर बढ़ता है तो उनके शरीर में अवांछित रोम, बाल एवं मुंहांसे जैसे लक्षण आने शुरु हो जाते है। जब एंड्रोजन हार्मोन बढ़ने लगता  है महिलाओं के शरीर में बिटामिन डी का स्तर कम होने लगता है। जिससे महिलाओं को पीसीओडी की शिकायत का सामना करना पड़ सकता है। महिलाओं के शरीर में जब एस्ट्रोजन और प्रोस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर में असंतुलन आ जाता है तो अंडाशय में सिस्ट की समस्या भी बनने लगती है। 

 

महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को डाइट और जीवनशैली कैसे खराब कर सकते है ?

हम अपने घरों में बड़े बुजुर्गों से अक्सर यहीं सुनते आ रहे है कि स्वस्थ्य शरीर में अच्छे मन और अच्छी आत्मा का वास होता है। इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने हर किसी की पहली प्राथमिकता होती है फिर वह स्त्री हो या फिर पुरुष। 

 

आज कल हम सभी दवाओं में सबसे अधिक खर्च कर देते है परंतु स्वस्थ रहने के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन नही कर पाते है जिसकी वजह से न जानें कौन-कौन सी बीमारियां हमारे शरीर में अपना घर बना लेती है। 

आज के समय में हर किसी की निर्भरता दवाओं पर बढ़ गई है कि इनके बिना जीवन जीना असंभव सा लगने लगा है। वहीं पर आयुर्वेद कहता है कि यद हम अपने जीवन में कुछ खास बातों का ध्यान रख लें तो इससे निरोग और स्वस्थ जीवन जीया जा सकता है। आयुर्वेद के महान आचार्य चरक ने कहा है कि “आहार के सामान दूसरी कोई औषधि नही है जो आपको स्वस्थ रख सकें”

 

यदि आप हल्का, सुपाच्य, सात्विक, पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक भोजन नही लेती है तो आपको कोई न कोई बीमारी अवशय हो सकती है। आप यदि तामसिक, तला-भूना और भारी आहार का सेवन करती है तो आपका शरीर उत्तेजना पैदा करेगा और आप किसी न किसी रोग की चपेट में आ जायेगी। 

 

इसलिए यदि आप अपनी लाइफ स्टाइल और खानपन के प्रति लापरवाही करती है तो आपका प्रजनन स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। 


डाइट प्लान में सुधार करके कैसे पीसीओडी से नेचुरल तरीके से छुटाकार पा सकते है ?

महिला हो या फिर पुरुष हर किसी के शरीर में भोजन का सर्वोपरि स्थान होता है। स्वस्थ शरीर को लिए स्वास्थ्यवर्धक एवं पौष्टिक भोजन की सबसे ज्यादा जरुर होती है। यदि महिलाएं पौष्टिक भोजन नही करती है तो उनका स्वस्थ रहना असंभव हो जाता है। 

 

जब कोई महिला पीसीओडी की समस्या से घिर जाती है तो उसके शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ने लगता है जिससे महिला को मधुमेह होने का खरता भी बढ़ सकता है। ऐसे स्थिति में उनका संतुलित और पौष्टिक भोजन करना सबसे प्रमुख उपचार माना गया है। 

 

यदि महिला को इस बात की पुष्टि हो चुकी है वह पीसीओडी की वजह से गर्भधारण करने में असमर्थ है । तो उसे अपनी डाइट में उच्च क्वालिटी के फाइबर, ओट्स, दलिया, मूंग की दाल, मुसली, शकरकंद, हरी पत्तदार सब्जी इत्यादि को जरुर शामिल करना चाहिए। 

 

खानपान में सुधार के साथ-साथ अपनी दिनचर्या में प्रतिदिन योग एवं व्यायाम को एक घंटे का समय अवश्य देना चाहिए। ऐसा करने से आपके प्रजनन अंग पूरी तरह से सक्रीय होगें और उनकी कार्य क्षमता में सुधार देखने को मिलेगा। व्यायाम के अंतर्गत आप जॉगिंग, स्वमिंग, वाकिंग, स्ट्रेचिंग जैसी एक्सरसाइज कर सकती है।