जानें पुरुष व महिला बांझपन ( Infertility ) के कारण क्या हैं ? कैसे होता है आयुर्वेदिक चिकित्सा से पुरुष और महिला बांझपन का इलाज
हर स्त्री -पुरुष का यह ख्वाब रहता है कि वह माता-पिता बने और बच्चों का लालन पालन करें फिर गृहस्थ धर्म का आधार भी तो संतान होती है । क्योंकि सृष्टि चक्र को नियमित रखने के लिए और अपनी सभ्यता व संस्कृति को अगली पीढ़ियों में हस्तांतरित करने के लिए संतान पैदा करना परम आवश्यक है पर आज के अति भौतिकता वादी युग में चाहकर भी बहुत से दंपति निसंतान रह जाते हैं । जिससे कई कारण होते हैं । संतान उत्पन्न नहीं कर पाना ही बांझपन हैं । बांझपन सिर्फ स्त्रियों में ही नहीं होता है । पुरुष भी बांझपन के शिकार होते हैं । पहले के जमाने में सारा आरोप सिर्फ महिला के ऊपर पर लगा दिया जाता है ।और पुरुष दूसरा विवाह तक कर लेता था । एक आंकड़े के मुताबिक महिलाओ की अपेक्षा पुरूष बांझपन के ज्यादा शिकार होते हैं । पर हाँ पुरुषों में बांझपन के कारक कम होते हैं वही महिलाओं में ज्यादा कारक होते हैं ।क्योंकि प्रजनन में ज्यादा हिस्सा महिलाओं का होता है । पुरुष सिर्फ बीज आरोपण का काम करते है । 9 महीने एक शिशु माँ के गर्भ में ही आकार पाता है । इसलिए स्त्रियों को पूर्णरूपेण स्वस्थ होना आवश्यक है । तो आइए जानते हैं पुरुषों एवं महिलाओं में बांझपन के क्या क्या कारण हो सकते हैं :-
पुरुषों के बांझपन के कारण -
1. पुरुषों में नपुसंकता या शुक्राणुओं की कमी -- शुक्राणुओं की कमी से या फिर स्वस्थ शुक्राणु नही बन पाने के कारण या फिर कभी कभी शुक्राणु की मात्रा तो सही होती है पर वह ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह पाते । इन सभी प्रॉब्लम्स की वजह से पुरुषों में नपुंसकता या बांझपन रह जाता है जिसे पुरूष इनफर्टिलिटी कहा जाता है ।
2. विलम्ब से विवाह - विलम्ब से विवाह आज बहुत सी समस्याओं को जन्म देता है । विवाह की आज कोई उम्र ही नही रही है । 35 - 40 की उम्र तक तो युवाओं की अपनी पढ़ाई व कॅरियर बनाने में निकल जाती है ।आज के जमाने मे शारिरिक परिश्रम तो कम हो ही गया है इंसान ने जमीन पर पालथी मारकर बैठना भी छोड़ दिया है जिसके कारण पेट बढ़ने व मोटापे की समस्या काफी बढ़ गयी है ।और आगे चलकर यही स्त्री व पुरुष दोनों में बाझपन का कारण बन जाती है ।
3. गलत दिनचर्या व गलत खानपान --फास्ट फूड व गलत खाना खाने के कारण शरीर मे गैस , एसिडिटी, मोटापे की समस्याओं से आदमी कब घिर जाता है उसे पता भी नही चल पाता और जब पता चलता है तो जल्दी ठीक होने के लिए एंटीबायोटिक महंगी-महंगी दवाइयां खाता है जिसके कारण वह अन्य बीमारियों से भी घिर जाता है । आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज जड़ से खत्म करने के लिए किया जाता है । आयुर्वेद का खजाना प्रकृति में ही छुपा हुआ है इसलिए इन दवाओं से कोई साइड इफेक्ट्स भी नही होता हैं।
4. आनुवंशिक कारण- कभी कभी आनुवंशिक नपुंसकता के कारण से भी बच्चा कन्सीव नही हो पाता ।आनुवंशिक बांझपन के इलाज में बहुत धैर्य की जरूरत होती है । आयुर्वेद में महिलाओं के साथ साथ पुरूष बांझपन का इलाज भी सफलता पूर्वक किया जाता है ।
स्त्रियों में इनफर्टिलिटी के कारण -
पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों में बांझपन के कारण बहुत ज्यादा होते है। जो इस प्रकार से है :-
1. अनियमित मासिक चक्र-- स्त्रियों में मासिक चक्र नियमित नही रहने से गर्भ धारण में प्राब्लम आती है ।
2. स्त्रियों में डिम्ब ग्रंथियों की गड़बड़ी-- डिम्ब ग्रंथि के अवरूद्ध होने पर मासिकचक्र अनियमित हो जाता है जिससे बच्चा कन्सीव करने में दिक्कतें आती है ।
3. ओवरी सिंड्रोम--ओवरी सिंड्रोम या गर्भाशय में सूजन होने पर गर्भधारण में दिक्कत आती है इसके अलावा गर्भाशय में सिस्ट या फाइब्रोसिस, एनीमिया या थाइराइड होने पर गर्भधारण में दिक्कत होती हैं ।
4. नशीली चीजों का इस्तेमाल - शराब या अन्य नशीली चीजों के सेवन से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है और बांझपन की समस्या शुरू हो जाती है ।
स्त्री व पुरुषों के बांझपन को दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय - सदियों पुरानी हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में बांझपन के कई उपाय बताये गये हैं । जो बीमारी को जड़ से खत्म कर देगी तो आइए जानते हैं
1. स्वेदनम प्रक्रिया :- आयुर्वेद में इस प्रक्रिया द्वारा चिकित्सक बांझपन के शिकार मरीजों को खूब पानी पिलाते है । फिर उन्हें कम्बल ओढाकर सुला देते है । शरीर से जब खूब पसीना निकलता है तो पसीने के साथ साथ शरीर से सारे विषैले पदार्थों भी बाहर निकल जाते हैं । इस प्रक्रिया को बार बार दोहराया जाता है ताकि शरीर एकदम दोषमुक्त हो जाये । इससे मरीज़ की प्रजजन क्षमता में बढ़ोतरी होती हैं । शरीर से फालतू चर्बी निकल जाती है ।
2. वामनम थेरैपी :- इस थेरेपी में उल्टी के माध्यम से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर किया जाता है । जिससे पेट पूरी तरह साफ हो जाता है । यह प्रक्रिया स्त्रियों की प्रजनन क्षमता को बढ़ने में लाभदायक सिद्ध होती है जिससे शरीर स्वस्थ हो जाने पर गर्भधारण की क्षमता में बढ़ोतरी हो जाती है । पर इन सब प्रक्रिया में धैर्य की आवश्यकता होती है पर सफलता जरूर मिलती है । आयुर्वेद में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए नियमित योगा करने की सलाह दी जाती है । पौष्टिक आहार पर जोर दिया जाता है ।
3. पंचकर्मा पद्धति द्वारा बांझपन का सही इलाज-- आयुर्वेद में पंचकर्मा पद्धति से शरीर को अंदर से साफ किया जाता है । इस विधि द्वारा शरीर मे जमा हुआ सारा विषाक्त पदार्थ बाहर आ जाता है । कुशल एक्सपर्ट की देखरेख में जब यह पंचकर्मा इलाज किया जाता है तो बड़ी से बड़ी बीमारी भी इस पद्धति से ठीक हो जाती है । पंचकर्मा (यानी 5 कर्म)
1. वमन यानी उल्टी के द्वारा शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाला जाता है।
2. विरेचन यानी मल के साथ विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाल कर प्रजनन शक्ति को बढ़ाया जाता है ।
3. नस्य - इस प्रक्रिया द्वारा मष्तिष्क को प्रजनन प्रक्रिया के लिए तैयार किया जाता है ।
4. अनुवासन वस्ती- यह प्रक्रिया पंचकर्मा का आधार है इसमें आपको पोष्टिक आहार खिलाया जाता है ताकि शरीर में प्रजनन क्षमता बढ़ जाये ।
5. रक्त मोक्षण (खून की शुद्धि) :- इस प्रक्रिया में मेडिसिन के माध्यम से शरीर से खराब खून को बाहर निकाला जाता है और पूरी तरह शरीर को शुद्ध किया जाता है ताकि प्रजनन क्षमता बढ़ सके जो कि बच्चे को कंसीव करने में सहायक होती है ।