मातृत्व सुख पाने के लिए हर औरत लालायित रहती है । और वह इसके लिये हर संभव प्रयास भी करती है । पर जब लगातार 2 साल तक स्वस्थ शारीरिक संबंध बनाने के बाद भी सफलता हासिल नहीं होती तो ऐसे में उसे बांझपन कहा जाता है । पुराने जमाने की अपेक्षा आधुनिक युग में महिलाओं में बांझपन की समस्या ज्यादा बढ़ रही है । इसका प्रमुख कारण है कि पुराने जमाने में लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती थी ।और पौष्टिक खानपान की वजह से शरीर भी हष्ट-पुष्ट रहता था फिर दिन भर घरेलू कामकाज करने से शरीर की अच्छी एक्सरसाइज भी हो जाती थी ।दिन भर काम करने से पसीने के साथ शरीर के विषाक्त अवयव भी बाहर निकल जाते थे ।पर आज आधुनिक महिलाओं में हर तीसरी महिला बांझपन की समस्या को झेल रही है ।
आइए जानते हैं आधुनिक महिलाओं में यह समस्या के प्रमुख कारण क्या है -
विलम्ब से विवाह - आधुनिक युग में शादी की कोई सही उम्र ही नही रही है । करियर बनाने व पढ़ने लिखने में शादी की सही उम्र निकल जाती है । ज्यादा उम्र में शादी होने से शरीर में तन्दुरुस्ती का अभाव हो जाता हैं और वो ही बांझपन का कारण बन जाता है ।
तनावपूर्ण दिनचर्या- आज महिलाएं घर और ऑफिस दोनों मोर्चा संभाल रही है ऐसे में वह तनावपूर्ण जीवन जी रही है ।और अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो जाती है ऐसे में कई बीमारियां शरीर को घेर लेती है और बांझपन का कारण पैदा कर देती है।
अनियमित महावारी- महावारी का चक्र नियमित नही होने से बांझपन आ जाता है गलत खानपान व तली हुई चीजें और फास्ट फूड खाने से शरीर में विषाक्तता पैदा हो जाती है और यही बांझपन का कारण बनती है ।
शारीरिक व्यायाम में कमी -आज महिलाओं में शारीरिक व्यायाम की बहुत कमी है पहले के जमाने की औरतें चक्की चलाती थी झाड़ू लगाती थी तो शरीर की एक्सरसाइज हो जाती थी । पर आजकल यह सब काम महिलाओं ने छोड़ दिए हैं फलतः मोटापे की शिकार हो जाती है और बांझपन की समस्या भी यहीं से शुरू हो जाती है ।
बन्द फ़ॉलोपियन ट्यूब ( Fallopian tube blockage) --
इस ट्यूब के बन्द रहने पर निषेचन प्रक्रिया रुक जाती है क्योंकि स्त्री अंडाणु और परुष शुक्राणुओं का समागम इसी फ़ॉलोपियन ट्यूब में होता है फिर गर्भाशय में यह अंडा जाता है और 9 माह में शिशु का रूप धारण करता है ।पर इस ट्यूब के बन्द होने पर गर्भाधान रुक जाता है ।
बन्द फ़ॉलोपियन ट्यूब का बिना सर्जरी आयुर्वेदिक इलाज -( fallopian thin blocked treatment without surgery in Hindi)
आयुर्वेद में बिना सर्जरी (Treatment without surgery ) इसका इलाज संभव है । जो इस प्रकार से है-
संवेदनम - इस क्रिया में मरीज को पानी पिलाकर कम्बल ओढाकर सुला दिया जाता है और पसीने के साथ विषाक्त अवयव को बाहर निकाला जाता है
वामनम - इस क्रिया में उल्टी आने वाली औषधियों का सेवन मरीज को कराया जाता है ताकि वमन के माध्यम से शरीर का जमा दोष निकल सके और शरीर प्रजनन के लिए तैयार हो सके ।
बस्ती चिकित्सा - बस्ती चिकित्सा में विशेष रुप से प्रजनन क्षमता को बढ़ाने और पीसीओएस के लिए बहुत उपयोगी चिकित्सा है । यह दर्द रहित चिकित्सा पद्धति है जिसमें घी, तेल और कई औषधीय काढ़े का सेवन महिलाओं को कराया जाता है जिसे प्रजनन क्षमता बढ़ सके और बन्द फ़ॉलोपियन ट्यूब का मार्ग खुलकर गर्भधारण हो सके।
आयुर्वेद चिकित्सा में पॉलीकयस्टिक सिंड्रोम का इलाज (Pcos Treatment In Ayurveda )
पॉलीकयस्टिक सिंड्रोम की प्रॉब्लम अनियमित मासिक चक्र के कारण होती हैं । यह प्रॉब्लम अधिकतर युवा महिलाओं में देखी गई हैं । ध्यान न देने की स्थिति में महिलाएं बाझपन की शिकार हो जाती हैं । इतना ही नहीं इससे स्कीन प्रॉब्लम भी होती हैं । इस प्रॉब्लम का आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से ट्रीटमेंट पॉसिबल हैं ।
अदावर्तना- इस आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में सूखे पाउडर से शरीर मे मालिश की जाती है जिससे रक्त संचार बढ़ता है और pcos की समस्या व बन्द फ़ॉलोपियन ट्यूब की समस्या से राहत मिलती है नियमित इस क्रिया को अपनाने से मोटापे में भी राहत मिलती है और गर्भधारण आसान हो जाता है ।
पंचकर्मा विधि से बन्द फ़ॉलोपियन ट्यूब और pcos में राहत - पंचकर्म यानी (पांच कर्म )- इस विधि में पहला स्टेप -वमन (उल्टी )यह क्रिया आपको उल्टी के माध्यम से शरीर में जहरीली वायु व दोषी पदार्थों को बाहर निकालती है इस क्रिया में आयुर्वेदिक औषधियों के चूर्ण मरीज को दिए जाते हैं जिससे उल्टी हो और शरीर के सारे विषाक्त पदार्थ बार आ जाए यह क्रिया बसंत ऋतु में ज्यादा लाभदायक है इस क्रिया के द्वारा बंद फेलोपियन ट्यूब भी खुल जाती है ।
दूसरा स्टेप विरेचन- इस क्रिया में आयुर्वेदिक औषधियों के चूर्ण मरीज को खिलाए जाते हैं ताकि बार-बार दस्त लगे और मल के साथ पेट में जमा सारा दूषित पदार्थ बाहर निकलकर शरीर ज्यादा ऊर्जावान हो सके ।
तीसरा स्टेप नस्य प्रक्रिया - इस क्रिया में नाक के माध्यम से औषधि को सिर की नसों तक पहुंचाया जाता है जिससे सिर के सारे वात ,कफ, पित्त नाक के रास्ते बाहर निकल जाते हैं ।
चौथा स्टेप अनुवासन बस्ती - इस क्रिया को पंचकर्मा विधि का आधार माना गया है । इसमें मरीज को खूब पोष्टिक आहार खिलाया जाता है । दूध, दही, फल - फ्रूट के साथ औषधीय चूर्ण और विटामिन वाली जड़ी बूटियों का सेवन करवाया जाता है जिससे शरीर पूरी तरह हष्ट पुष्ट होकर रोगमुक्त हो जाता है और प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है
5 स्टेप रक्तमोक्षण- इस क्रिया में शरीर के खराब खून को साफ करने का काम किया जाता है आयुर्वेदिक दवाइयों और विटामिन सी युक्त फल मरीज को खिलाये जाते हैं । जिससे खून साफ हो जाता है और स्किन प्रॉब्लम भी ठीक हो जाती है । इसके साथ साथ बंद फ़ॉलोपियन ट्यूब का मुंह भी खुल जाता है ।
योग क्रिया - योग क्रिया से बंद फैलोपियन ट्यूब को खोलने में बहुत मदद मिलती है अगर नियमित मन से योगा किया जाए तो 3 महीने में सफलता जरूर मिल जाती है । पर एक्सरसाइज किसी अच्छे एक्सपर्ट की देखरेख में किया जाना चाहिए तभी यह लाभकारी सिद्ध होती है ।
बांझपन की समस्या से बचने के अन्य जरूरी सुझाव -
इस समस्या से बचने के लिए लड़कियों की शादी सही उम्र में हो ताकि शरीर युवा रहे और प्रजनन क्षमता ज्यादा हो ।महिलाओं को अपनी शारीरिक व्यायाम की तरफ ज्याद ध्यान देना चाहिए और अपने खानपान को नियंत्रित रखना चाहिए । बाजार की जंक फूड व फास्ट फूड से दूर रहना चाहिए । शराब व अन्य नशीली चीजों के सेवन से भी सदैव दूर रहना चाहिए ।
Pcos का ट्रीटमेंट दिल्ली में ( Polycystic Ovary Syndrome Treatment In Delhi )
इस प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट दिल्ली में स्थित आशा आयुर्वेदा सेंटर पर बेहतरीन तरीके से किया जाता हैं । यदि आप ट्रीटमेंट लेना चाहते हैं तो डॉक्टर चंचल शर्मा से सम्पर्क कर सकते हैं या हमारी हेल्पलाइन नंबर - 9811773770 पर भी संपर्क कर सकते हैं।