सिजेरियन डिलीवरी के बाद योनि में जन्म (VBAC -वजाइनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन) कई महिलाओं के लिए संभव है, लेकिन यह कई कारकों पर निर्भर करता है। VBAC पर जोर देने से आप और आपका बच्चा दोनों खतरे में पड़ सकते हैं; इसलिए, आपको अपने डॉक्टर के साथ चर्चा करने की आवश्यकता है। सिजेरियन के बाद सबसे महत्वपूर्ण यह मुद्दा होता है शिशु एवं माँ की सुरक्षा।
अधिकांश लोगों का मत है कि एक बार ऑपरेशन से बच्चा पैदा होने के बाद दूसरी बाद भी ऑपरेशन से ही होगा परंतु ऐसा बिल्कुल भी नही है क्यों कुछ अध्ययन इस बात की गवाही देते है कि जिन महिलाओं ने पहली बार ऑपरेशन के द्वारा बच्चा पैदा किया है उनमें से 90 प्रतिशत महिलाओं को सामान्य डिलेवरी से बच्चा पैदा होने की पूरी संभावना होती है। यह अध्ययन जर्नल बीएमसी प्रेगनेंसी एंड चाइल्डबर्थ में प्रकाशित भी हुआ है और इसको मान्यता भी मिली है।
इस शोध के बाद कई महिलाओं ने एक बार ऑपरेशन से बच्चा पैदा करने के बाद दूसरी बाद सामान्य प्रसव से बच्चा पैदा करने का निर्णय किया । जापान में एक हास्पिटल है जिसका नाम है टोयोटा मेमोरियल हॉस्पिटल वहां के अध्ययन कर्ता डॉक्टर कानमे उनो का कहना है कि पूरी विश्व की करीब आधी महिलाएं जिन्होंने पहली बार ऑपरेशन से शिशु का जन्म दिया है वह दूसरी बार भी ऑपरेशन से ही माँ बनती है।
जबकि अधिकांश डॉक्टरो का कहना है कि सिजेरियन की तुलना में सामान्य प्रसव करवाया ज्यादा सुरक्षित है। परंतु दुनिया की अधिकांश महिलाएं दूसरी टाइम भी ऑपरेशन को ही ज्यादा तहजीर देती है। ऐसा इसलिए होता है कि महिलाओं को इसके लाभ और नुकसान के बारे में संपूर्ण जानकारी नही होती है अर्थात जानकारी के अभाव में वह ऐसा कदम बहुत ही जल्दी उठा लेती है।
कैसे पता चलेगा कि सामान्य प्रसव होगा या सिजेरियन ?
प्रसव होने के जब नजदीक समय आ जाता है तो महिला को कुछ ऐसे लक्षण होते है जिसके आधार पर चिकित्सक इस बात का निर्णय करते है कि कि डिलेवरी नार्मल होगी या फिर सिजेरियन । कुछ मामलों में महिलोआों की इच्छा के आधार पर भी सिजेरियन डिलेवरी की जाती है।
पेट में अधिक जलन होने पर ।
संकुचन बढ़ जाने के कारण।
संकुचन के कारण अत्य़धिक असहनीय पीड़ा होती है जो लगभग 50 से 70 सेकेण्ड के लिए होती है।
पीठ और पेट में अधिक दर्द के कारण
योनि से ब्लड आने की स्थिति में भी डॉक्टर इसका फैसला ले लेते है।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी की संभावना कम कब होती है?
महिलाओं में होने वाली कुछ ऐसी स्थितियां है जिसके कारण महिलाओं में सामान्य प्रसव होने की संभावना कम हो जाती है। जोकि नीचे दर्शाई गई है -
गर्भवती महिला की उम्र यदि 35 वर्ष से अधिक है तो सामान्य प्रसव होेने में थोड़ी सी परेशानी हो सकती है।
यदि गर्भवती महिला का वजन अधिक है तो भी अधिकांश डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते है।
पहले और दूसरे प्रसव के बीच 20 माह से कम का अंतराल है तो भी सिजेरिन डिलेवरी होती ही है सामान्य नही।
पेट में पल रहे शिशु का वजन यदि अधिक हो जाता है तो भी सिजेरियन की संभावना अधिक होती है।
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के कारण भी सामान्य प्रसव में परेशानी आ सकती है ।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय क्या है?
आयुर्वेद के अनुसार कुछ ऐसे घरेलु नुख्से एवं उपचार है जिसकी मदद से आप पहली सिजेरियन डिलेवरी होने के बाद भी दूसरी नार्मल डिलेवरी करवा सकती है। यह उपाय आपके स्वास्थ्य एवं गर्भावस्था को बेहतन बनाने के साथ आपके जीवन से तवान कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
संतुलित आहार - आयुर्वेद सबसे ज्यादा खानपान पर जोर देता है जो हमारे स्वास्थ्य की नींव होती है। यदि हमारी नीव मजबूत होगी तो स्वास्थ्य में कोई भी खराबी जल्दी से नही आयेगी।
शुद्ध दूध का सेवन - यदि आपके मन में सिजेरियन डिलेवरी के बाद नार्मल डिलेवरी की इच्छा है तो आपको अपने आहार में दूध को जरुर सामिल करना होगा। तभी इसकी संभावना अधिक होगी।
पर्याप्त पानी पीएं - एक गर्भवती महिला के लिए एक दिन में कम से कम 6-से 8 गिलास प्रतिदिन पानी जरुर पीना चाहिए। पानी पीने से शरीर में नमी बनी रहती है और शरीर के विषाक्त पदार्द पेशाब के द्वारा बहार निकल जाते है ।
फल खाएं - फल खाने को अच्छी आदतों में गिना जाता है और कहां भी जाता है यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन एक सेव खाता है तो उसको डॉक्टर से पास जाने की आवश्यकता नही होती है। इसलिए मौसम के अनुरुप फलों का सेवन जरुर करें।
आहार में दालें शामिल करें - दाल हमारे शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करती है और प्रोटीन शरीर के समग्र स्वास्थ्य निर्माण में मदद करता है इसलिए दालों को भोजन में जरुर मिलाएं।
पनीर खाएं - पनीर एक दुग्ध निर्मित खाद्य पदार्थ है जिसके सेवन से शरीर में कैल्शियम की पूर्ती होती है। कैल्शियम शरीर की हड्डियों के लिए बहुत आवश्यक होता है। पनीर सेवन से नार्मल प्रसव की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
योग एवं व्यायाम करें - योग एवं व्यायाम करना एक अच्छा विकल्प साबित होगा। व्यायाम करने से शरीर पूरी तरह से सक्रीय रहता है। गर्भवती महिलाओं के चलना सबसे अच्छा व्यायाम माना गया है। प्रतिदिन 30 मिनट टहलने की आदल जरुर डालें।
वजन को नियंत्रित रखें - अपने वजन को नियंत्रण में रखना आपके लिए अच्छा सुझाव है । वजन अधिक होने पर आपको कई परेशानियां हो सकती है। वजन कम करने के लिए आप नियमित एक्सरसाइज करें। अधिक वसा वाला भोजन न करें। गतिशील जीवनशैली का चयन करें।
तनाव से दूर रहें - तनाव अच्छे स्वास्थ्य का सबसे बड़ा दुश्मन माना गया है । यदि आप तनाव में रहती है तो जल्द इससे बाहर निकलने की कोशिश करें। यदि आप अकेले है तो अच्छा संगीत सुने अपने आप को कार्यों में व्यस्त रखें। अपने मित्रों एवं घर परिवार के लोगों से बात करने की कोशिश करें।
पर्याप्त नींद लें - अच्छी नींद स्वास्थ्य शरीर का मित्र मानी जाती है । यदि आपको नींद न आने की समस्या है तो डॉक्टर से जरुर मिलें। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाों को कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद बहुत जरुरी होती है।
जीवनशैली - आयुर्वेद में जीवनशैला को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। अच्छी जीवन शैली एक अच्छे स्वास्थ्य का निर्माण करती है। इसलिए कोशिश करें की जीवनशैली प्रकृति के अनुरुप हो। दिनचर्या के नियमों का पूरी तरह से पालन करें। दिनचर्या से तात्यपर्य है कि सुबह समय से बिस्तार छोड़े और रात को जल्दी सो जायें। भोजन समय-समय पर ही करें।
इन सभी घरेलु एवं आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से पहले किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरुर कर लें।