विराट और अनुष्का की बेटी के लिए ये अमृत (सुवर्णप्राशन)

विराट और अनुष्का के घर सोमवार को एक प्यारी सी बच्ची का जन्म हुआ है। विराट का घर किलकारियों से गूंज उठा है। अब अनुष्का विराट माता-पिता बन चुके है। बेटी के जन्म लेते ही विराट ने एक पोस्ट के जरिये अपनी खुशी भी जहिर की है और उनहोंन लिखा है कि हम दोनो सौभाग्यशाली है कि हमें जिन्दगी के एक नये अध्याय को शुरु करने को अवसर मिला।


यदि विराट और अनुष्का अपने बच्चे को सुवर्णप्राशन की दो बूंद पूरे आयुर्वेदिक विधि-विधान और नियम संयम के साथ कराते है तो उनकी बच्चे में रोगों से लड़ने की अद्भूत क्षमता का संचार होगा। विराट और अनुष्का यदि अपनी बच्चे को यह आयुर्वेदिक अमृत पान कराते है तो उनकी बच्ची का भविष्य उज्जवल होगा और उसकी रोग प्रतिरोधका क्षमता में वृद्धि होगी।  

 

हम सभी जानते हैं कि धातुओं और खनिजों का उपयोग युगों से किया जाता रहा है और सोना सबसे कीमती और शुभ धातु माना जाता है। आयुर्वेद ने विभिन्न रूपों में उपयोग किए जा रहे सोने के कई औषधीय गुणों का उल्लेख किया है। सात धातुओं में से सोना सभी में सबसे शुद्ध माना जाता है। सोना धातु के रूप में नहीं पीया जा सकता है इसलिए इसे भस्म (स्वर्णभस्म) में बदल दिया जाता है। यह प्रतिरक्षा को बढ़ावा देता है और स्मृति को बढ़ाने के सहायक होता है। शहद अन्य घटक है जो पाचन में सुधार करता है और सूजन से लड़ने में मदद करता है। तीसरा घटक घृत एक माध्यम के रूप में कार्य करता है जिसमें दवा तैयार की जाती है।

 

आज की आधुनिक चिकित्सा की दुनिया में कई दुष्प्रभाव होते हैं और माता-पिता के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो जाता है कि वे अपने बच्चों को बीमारियों से लड़ने में मदद करें। सुवर्णप्राशन हमारे पूर्वजों द्वारा युगों से चला आ रहा है। यह आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित सोलह संस्कारों में से एक है। यह जन्म से लेकर 16 वर्ष तक की आयु के बच्चों को मनोवैज्ञानिक और शारीरिक विकास के लिए दिया जाता है। 

सुवर्णप्राशन बच्चों को कैसे लाभ पहुंचाता है - Suvarnaprashan

स्वर्णप्राशन का लाभ इस बात पर निर्भर करता है कि उसे कैसे तैयार किया गया है। जब एक महीने के लिए एक बच्चे को स्वर्णप्राशन दिया जाता है तो यह बुद्धि में सुधार करता है और बच्चे को बीमारियों से बचाता है। जब 6 महीने के लिए दिया जाता है तो बच्चा सिर्फ सुनी सुनाई बातों को याद रखेगा। जन्म से लेकर 16 वर्ष तक की आयु के सुवर्णप्राशन दिए जा सकता हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह खाली पेट दिया जाता है और आमतौर पर सुबह में देने पर ज्यादा फायदेमंद होता है। सुवर्णप्राशन आधुनिक अवधारणा की तुलना में टीकाकरण से मिलता जुलता है जो बीमारियों से बचाता है। सुवर्णप्राशन किसी विशेष बीमारी के खिलाफ काम नहीं करता है, लेकिन एक बच्चे की समग्र प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में सुधार करता है।


आशा आयुर्वेदा की फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ चंचल शर्मा कश्यप संहिता और सुश्रुत में वर्णित सुवर्णप्राशन का उल्लेख करते हुई कहती है कि यह संस्सार प्राचीन समय से चला आ रहा है। यह हमारे आयुर्वेद के महान ज्ञाता आचार्य चरक की खोज है। प्राचीन काल में प्रत्येक माता पिता अपने नवजात शिशुओं की जीभ पर सोने एवं चाँदी से ऊँ लिख कर इस संस्कार के नियम का पालन करते थे। आशा आयुर्वेदा में आज भी हजारों बच्चों को सुवर्णप्राशन की दवा पिलाई जाती है। सुवर्णप्राशन लेने वाले बच्चों में सामान्य बच्चों की अपेक्षा अधिक गुण देखने को मिलते है। 

 

बच्चों के भविष्य के उज्जवल भविष्य के लिए आयुर्वेदिक अमृत अर्थात सुवर्णप्राशन किसी वरदान से कम नही है। आयुर्वेद के अनुसार गर्भावस्था से लेकर 16 वर्ष तक की आयु में सुवर्णप्राशन के अद्भूत लाभ है । प्राचीन भारतीय ऋषि मुनियों के कठिन परिश्रम के बाद आयुर्वेदिक अमृत की खोज हुई जिसे सुवर्णप्राशन के नाम से जानते है। 

सुश्रुत संहिता के अनुसार सुवर्णप्राशन की बूद यदि को जन्म से लेकर 16 वर्ष की आयु तक पुष्य नक्षत्र के दौरान पिलाई जाती है तो बच्चे में गजब की शाक्ति का संचार होता है। सुवर्णप्राशन के सेवन से नवजात शिशु में सुनने, समझने तथा बोलने की क्षमता का विकास तेजी के साथ होता है। सुवर्णप्राशन में बच्चे को सर्दी,जुकाम तथा मौसमी बीमारियों से बचाया जाता है। सुवर्णप्राशन से बच्चों की स्मरण शाक्ति में चमत्कारिक विकास होता है। सुवर्णप्राशन के सेवन से बच्चों में स्फूर्ति एवं उत्साह का संचार बना रहता है। यदि आप भी अपने बच्चे को निरोग, मेधावी तथा सुन्दर बनाते चाहते है तो सुवर्णप्राशन एक बेहतर विकल्प है। 

दिल्ली के रजौरी गार्डन स्थित आशा आयुर्वेदा केन्द्र में सुवर्णप्राशन की उत्तम चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध है। आशा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक विधि विधान एवं वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ पुष्य नक्षत्र में सुवर्णप्राशन की आयुर्वेदिक औषिध का अमृत पान कराया जाता है।